Saturday, February 2, 2013

banning of a film



           
                   किसी कंट्रोवर्सिअल सब्जेक्ट पर लिखना समझदारी नहीं होती, क्योंकि अनजाने में ही आप कई लोगों की भावनाएं आहत कर देते हैं, लेकिन इरादतन लोग कंट्रोवर्सी क्रिएट करें तो मेरा  और आपका गुस्सा वाजिब है. 'विश्वरूपम' देखिये शायद आप दूसरी बार भी देखना चाहें और इस देश की गंगा-जमुना संस्कृति (मिक्स कल्चर) पर गर्व भी महसूस करें.....और उनपर गुस्सा भी, जिन्होंने बेवजह इस फिल्म को हाशिये पे लाया है.
               ये पोस्ट आपके लिए है, और ये पोएम 'तमिल नाडू मुस्लिम मुन्नेत्र कज़ग्हम (TMMK) के लीडर 'जवाहिरुल्लाह' के लिए है जिन्होंने मज़हब की बिसात पे सियासी गोटियाँ बिछा इस फिल्म को रिलीज़ नहीं होने दिया. फिल्म देखिये, शायद आपको भी उसकी इस हरकत पे गुस्सा आये.


जब तुम्हारे बच्चे भी
बस्तों में
किताबों की जगह
ले जाने लगेंगे भर के बारूद.

जब तुम्हारी औरतों का भी
मज़हब नहीं रहेगा कोई,
सरे-आम पत्थरों से पीट-पीटकर
मार दी जाएँगी.
...और तुम्हारी बेटियों के
पढ़ने पे होगे सर कलम!

मज़हब की बिसात पे
सियासत की गोटियाँ बिछा
फिर क्या चिल्लापोगे तुम,
'बैन विश्वरूपम, 'बैन विश्वरूपम'??