Monday, December 4, 2023

Papa's Letters to Shaurya #NinthLetter


तुम्हारी नानी एक संत को सुन रही हैं। उनके कई सारे फॉलोअर्स हैं। वे एक प्रश्न के जवाब में कहते हैं "स्त्रियों को जॉब न करके घर चलाना चाहिए। बच्चे बड़े करने चाहिए। क्या आपकी मां जॉब करती तो आप जो बन पाए हैं वह बन पाती?" वह प्रश्न पूछने वाली महिला (जो खुद एक वर्किंग वुमन है) से प्रश्न करते हैं। मुझे उनकी बात सुनकर हंसी आ जाती है। ऐसा नहीं है कि वह अच्छे विचारक नहीं है। वह एक बहुत अच्छे विचारक हैं। कई बार मैं उनको सुनकर, उनकी फॉरवर्ड थिंकिंग को देखकर आश्चर्यचकित रह जाता हूं। लेकिन मैंने अक्सर देखा है कि अच्छे विचारक भी अपने अंदर से बरसों से चली आ रही रूढ़ियों को निकाल नहीं पाते हैं।
तुम्हारी दादी भी वर्किंग है और तुम्हारी मां भी और दोनों ही सुपर वुमन हैं। तुम्हें दो बातें बताता हूं-
पहली, बच्चे सम्हालना, घर संभालना सिर्फ महिलाओं का काम नहीं है। यह वर्क डिवीजन हमने ही बनाए हुए हैं। जबकि घर और बच्चे महिला और पुरुष दोनों के होते हैं। इसलिए ये काम भी दोनों को करने मिलकर चाहिए या या जिसको करना है वो कर सकता है। इस तरह के डिवीजन पुरुषवादी समाज ने अपनी सहूलियत के लिए बनाए हैं।
तुम्हें बड़े होने के साथ यह समझना जरूरी होगा कि एक उन्नत समाज के लिए इक्वलिटी आवश्यक है। जो 'घर' से शुरू होती है... आपके अपने घर से...
दूसरी, ये कि स्त्रियों को इसलिए जॉब नहीं करनी है कि घर में पैसे की आवश्यकता है। बल्कि इसलिए करनी है-
1. for financial freedom
2. for their self respect
3. for their self development, and
4. because they want to work
( 1. आर्थिक आजादी के लिए
2. अपने स्वाभिमान के लिए
3. उनके स्व-विकास के लिए, और
4. क्योंकि वे काम करना चाहती हैं )
सदियों से लड़कियों को कम पढ़ाया जा रहा है क्योंकि लोग सोचते हैं कि 'बड़े होकर उन्हें कौन सा काम करना है!' उनकी एजुकेशन हमेशा सेकेंडरी रही है। यह बहुत स्टुपिड सा लॉजिक है, जिसे मैं ना समझ पाता हूं, ना ही पचा पाता हूं।
हालांकि हम 19वीं सदी में से ईश्वर चंद्र विद्यासागर, दयानंद सरस्वती, ज्योतिबा और सावित्री फुले, महर्षि कर्वे (20वीं सदी) द्वारा स्त्री शिक्षा पर किए बहुत सारे कामों से काफी आगे जाकर हम स्त्री साक्षरता में अब 77% पर पहुंच गए हैं और लगभग 33% भारतीय महिलाएं वर्किंग वुमन हैं। लेकिन समाज के रूप में अभी भी ऐसी सोच से हमें काफी आगे आने की आवश्यकता है।
हॉपफुली, बड़े होकर जो मैं लिख रहा हूं उसके मायने समझोगे और मम्मा क्यों सुपर वुमन है ये भी।
तुम्हारे पापा