Saturday, September 27, 2014

थोड़ा इंतज़ार कर, बस ज़रा सा....



कुछ और इंतज़ार कर
कुछ और अरब वर्ष बस.
तोड़ लाऊंगा सितारे
ज़रा उन्हें और पकने दे,
सुर्ख लाल होने दे.
शनि की वो बेहद खूबसूरत बलाएँ,
उफ़! चमक चमक जो
ब्रह्माण्ड का दिल जलाती हैं
तेरे कानों की बालियां बनाऊंगा.
और वो जुपिटर के चाँद
सुना है ढेरों हैं,
मोतियों सा तेरे गले में पहनाऊंगा.

तेरे लिए चाँद सितारे तोड़ लाऊंगा
ज़रा उन्हें और पकने दे
थोड़ा इंतज़ार कर
बस ज़रा सा....
बस कुछ अरब वर्ष और....