Wednesday, April 27, 2011

Best Print-Ads of India

Hello, im sharing 10 very creative print-ads, u can call it best ad collection of India or best advertisements from best of India’s trusted brands. 

1.World need tape like this.........very true, especially Bush needed this badly. Just check statement by Bush, in bottom.


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2. Radha-Krishna in ad of Titan watches.


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3. KIT KAT : have a Break, Have a Kit Kat!

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4.Head & Shoulder : Head & dandruff compared with Night Sky!


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5.Austrelia Post : If you really want to touch someone, send them a letter!



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6.Mondo Pasta Ad




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7.This is not the picture of Hiroshima Atomic Attack.........its a head after using PANTENE!!



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8.ARIEL: Now 'Daag' is Design!!



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9.Zandu Balm.........Head Ache is HA!



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10.Colors Become Alive..........Sony Bravia!




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~VIVs***

Sunday, April 24, 2011

Some Hidden Pages of a Diary

May 2004....
पापा का हॉस्पिटल भी अजीब है, उसने मौत  को ज़िन्दगी से आगे निकलते देखा  है. जैसे उसे नहीं पता मौत क्या होती है, ज़िन्दगी क्या. मैं खुश हूँ दसवीं का रिजल्ट आया है, पर उस ढाई साल के मासूम का क्या जिसे आग का मतलब भी पता नहीं था.'अब ये मेरे बस में नहीं है छतरपुर ले जाना पड़ेगा'. Basic Treatment के बाद पापा ने सिटी रेफेर करने को बोल दिया. 'डॉक्टर साब पैसे नहीं हैं'. पापा ने चुपचाप 500 का नोट निकाल कर दे दिया. वो दुखिमन दुआ देता हुआ चला गया. 'अब ये नहीं बचेगा 80% जल चुका है.' पापा ने मेरी तरफ मुड़ते कहा. पापा की कोरें भीगी हुई हैं.
ये ख़ुशी भी अजीब होती है, खुश रहने कहाँ देती है!

March 2008...
इंजीनियरिंग मैं 'Sad Stories' नहीं होती, लेकिन Panjaabi sir को देखता हूँ तो  ये बात भी झूठ लगने लगती है. वो गर्व से बोलते हैं, वो 'Jyoti Talkies Circle' है  वो मेरे बेटे ने डिजाईन किया है...फिर 80 साल की बूढी आँखें छत ताकने लगती हैं. इस उम्र में Daily Basis पे  Lectures लेना उनका शौक है मजबूरी, उनकी कांपती हड्डियां बता ही देती हैं. आज बस इतना ही, वो Basic Civil की किताब उठा दरबाजे की तरफ बढ जाते हैं. मैं चुपचाप उन्हें जाते देखता हूँ. कहते हैं बहुत सी चीजें छुपाये नहीं छुपती.

May 2008...
कॉलेज  के एक Senior  के पापा  बीमार  हैं, उसके दोस्त  इलाज़  के लिय पैसे जोड़ रहे  हैं......लड़का हॉस्पिटल में है......उसके दोस्तों  के चेहरों  में  मुझे खुदा  नज़र  आता  है. एक Classmate  ने  100 रूपये  दिए  हैं.......ये 50 रूपये  वापस  लो, 50 रूपये से ज्यादा मत दो, तुम्हारे घर  से भी  तो  सीमित पैसे आते हैं.... बाहर सिगरेट  के टपरे पर  आज  कुछ  कम भीड़ देख  अच्छा लगता  है.


Oct 2008...
अबे पी ना, पी के देख, सोमरस है....मैं मुस्कुरा कर मना करता हूँ. ....अब  पेपर  उठा  लिया  हाथ  में  उसने, अबे ये लोग पी  कर गाड़ी  क्यूँ  चलाते  हैं, मरेंगे  ही साले, वो पेपर पढ़ के बोलता है...... उसे भी 10km दूर अपने रूम जाना  है, रात में ही...... अबे अभी तो 3 ही हुए हैं, 5 तक तो मुझे होश रहता है..... मैं मुस्कुराता हूँ.

Jan 2009...
मैं इस जगह नया नया रहने या हूँ..चाय के टपरे पर चाय पी रहा हूँ. 'भैया एक रूपये देदो ना.' चिथड़ों में एक 7-8 साल का लड़का पैसे मांग रहा है. 'अबे जा यहाँ से.' चायबाला चिल्लाता है. मैं एक रुपया दे देता हूँ. 'कितनों को पैसे दोगे भैया, यहाँ बहुत आते है.'....एक तरफ काले, बदसूरत लड़के मायूस से पैसे मांग रहे हैं....वहां HPCL के ग्रौंद पे गेंद खेली जा रही है. 'इनमें और उनमे सिर्फ एक गेंद का फ़र्क है.' यश दार्शनिक अंदाज़ में दुखी हो कहता है. मैं बस हाँ में जबाब देता हूँ.

Oct 2009...
फ़ोन बजा 'पचमढ़ी चलोगे आज रात?'...'किससे?'....'bike से जा रहे हैं, चलना हो तो चलो.'  मामी बैठी हुई हैं, 'विवेक, bike से मत जाना, मना कर दो.' मैं मना कर देता हूँ. सुबह फ़ोन बजा-'विवेक वो accident हो गया है, नर्मदा हॉस्पिटल पहुँचो.' मैं पहुँचता हूँ, सुबह 5.00 बजे निकले थे पचमढ़ी को, होशंगाबाद के पहले accident हो गया. यही एक गाड़ी थी जिसपे 2 लोग बैठे थे........अगर मैं गया होता तो इसी पे बैठता, सोचकर मैं सिहर उठता हूँ. ..........पहली बार किसी funeral में गया हूँ, एक्सिडेंट के बाद एक महीने ज़िन्दगी से लड़ते-लड़ते दोस्त नहीं रहा. बिहार से था...उसके पापा का चेहरा देखने की हिम्मत नहीं होती......लौट के आ बाथरूम में रो पड़ता हूँ. नहाते हुए आंसू भी धुल से जाते हैं..............एक महीने बाद सब नोर्मल है.

April 2010...
'मैं उसी से शादी करूंगी' वो मुस्कुरा के बोलती है......मैं Coaching के बाद Daily उसे स्टॉप तक छोड़ने जाता हूँ.  मेरे से 3 साल बड़ी है लेकिन मैंने आज तक उससे अच्छी लड़की नहीं देखी. उसे एक लड़के से प्यार, पंजाबी है लड़का, वो ब्रह्मिन....उसकी शादी तय हो रही है कहीं और, लड़का 1 Lakh per Month कमाता है, MNC में है. वो घर बालों को अपने प्यार के बारे में बता देती है. मैं उसे मुर्ख कहता हूँ.....लेकिन शायद वो अच्छी है, तो अच्छी है....उसके घर बालों ने अब उसका घर से निकलना बंद करवा दिया है. इश्क पर पहरे क्यूँ हैं?

Aug 2010...
मेरे यहाँ जुलूस निकला है, मैं भगवान् की कांवर उठाये हुए हूँ. फ़ोन बजता है,फ़ोन पे Sumit है 'वो 'उसके' पिताजी नहीं रहे.' वो दुखी हो बोलता है. वो मेरे सबसे अच्छे दोस्त के बारे में बात कर रहा था.मैं निःशब्द हूँ. एक प्रश्न है, हम भगवान् क्यूँ पूजते हैं? अपनों की सलामती के लिए ही ना!
मैंने मंदिर जाना छोड़ दिया है.

Dec 2010...
कुछ नहीं. कुछ अधूरे पन्ने स्याह भी हैं.

Friday, April 15, 2011

....तुम्हारी दी कलाई घड़ी!

याद है,
लम्हे बाँधने के लिए,
तुमने कुछ दिया था!

मैं,
लम्हे बांधते-बांधते थक गया,
लेकिन ये युग
अनवरत अग्रसर है!

मैं नहीं चाहता,
बहने दूं इन पलों को.
.......बस थामना चाहता हूँ,
तुम नहीं
 तो तुम्हारी यादें.

लेकिन,
सिर्फ और सिर्फ 
मुझे तुमसे बाधें रख सकती है,
नहीं थाम सकती लम्हें.
सोचता हूँ,
उतार के फेंक दूं
तुम्हारी दी कलाई घड़ी!

तुमसे दूर जाने का ये प्रयास भी
कर के देख लूं!
....उम्र भर सीने में चुभें लम्हे,
उससे तो कहीं यही अच्छा है!!!

Saturday, April 9, 2011

....before packing the bags: inside campus

                              मैं उसे कस के पकड़ता, उसके शरीर पर खड़े हो रहे रोंगटे साफ़ देख सकता हूँ....वो बिलकुल पास है, इतने पास की कभी उसने खुद भी नहीं सोचा होगा की वो मेरे इतने करीब होगी....मैं उसके चेहरे को और भी खूबसूरत बना रहे  बालों को अलग करता हूँ.......उसका चेहरा मेरे बिलकुल पास है, उसकी गर्म साँसे मैं महसूस कर सकता हूँ.....और फिर............'हे  भगवन! हम पूरे पांच मिनट तक  'kiss' करते रहे!!!! इतना लम्बा kiss तो इमरान-दिया मिर्ज़ा ने  'तुमसा नहीं देखा' में भी नहीं किया होगा'

                   'तुम 'idiot' हो' वो mirror में अपनी lipistic' सम्हालते हुए बोलती है.
                   'हाँ, its ur first kiss na? मेरा भी, and i am so happy.' मैं अपना चेहरा धुलते हुए बोलता हूँ.
                  'हाँ लडको के लिए तो ये proudest moments होते है, तुम तो खुश होगे ही.' वो मेरे कंधे पर                                            मारती है. मैं उसके सिर पे हाथ घुमा देता हूँ......उसके बाल बिखर गये हैं, और वो और भी प्यारी लगने लगी है.

पहले मैं toilet से बाहर निकलता हूँ, और गेट के साइड में खड़ा हो गया हूँ, जिससे उसे कोई  boys toilet से निकलते हुए देख ना ले. वो धीरे से निकलती है, बालकनी में कोई नहीं है, सब lectures करने व्यस्त हैं.....वो तेजी से क्लास की और जाती है.
              
                'May I come in Sir?'
              
                'No'  28 साल का 'Control System' पढ़ाने बाला आदित्य उसे ऊपर से नीचे तक Scan करके बोला. (ये Young Faculties की प्रॉब्लम क्या होती है यार? ये अपनी स्टुडेंट्स तक को नहीं छोड़ते.)

              'You are 20 minutes late.' 5 फुट 4 इंच का आदित्य, अपने पीले पेंट से चाक भरे हाथ पोंछते हुए बोला. एक तो इतनी कम Height, फिर ऊपर से मोटा सा चश्मा, उस पर भी ज्यादातर वो डार्क शर्ट पर लाइट पेंट्स पहनता है, राजपाल यादव का पूरा भाई लगता है वो.....लेकिन अपनी स्टुडेंट्स तक पर लाइन मारता है.......मेरी उससे कभी नहीं बनी.
        
            'सॉरी सर, मैं ATM तक पैसे निकालने गयी थी.'


            'आ जाओ.' 'और तुम कहाँ गये थे हीरो?' नीरजा के पीछे मुझे खड़ा देख बोलता है.


            'सर उसको पैसे निकलवाने' पूरी क्लास हंस पड़ती है.


उसका चेहरा देखने लायक है, 'तुम मेरी क्लास कभी Attend मत करना, बाहर जाओ.'


मैं चुपचाप Gate से निकल आया, मन ही मन उसे दो-चार भद्दी गलियाँ देता हूँ.


एक...दो.तीन...पूरी 63 सीढियां उतरने के बाद मैं कंप्यूटर सेंटर पहुँचता हूँ.....यहाँ पूरे dell के computers हैं, इनका के बोर्ड चलाने में मुझे मज़ा आता है, lappy का की-बोर्ड use करना कितना tough होता है ना!


        .मैं सीधा जाकर एक कंप्यूटर पर बैठ गया.....प्रोक्सी साईट से अपना फेसबुक अकाउंट खोलता हूँ....(हाँ, हर एक कॉलेज की तरह यहाँ भी chatting sited बंद क़र के रखी गयी हैं.) ....टोटल 23 notifications ......maximum about comments on my photo ........ 


                 'क्या कर रहे हो यार? मुझे नौकरी से निकलवाओगे क्या?'


मैंने पीछे देखा, पवन था. 'क्या यार पवन, यहाँ फेसबुक तक नहीं खोल सकते.......ये कॉलेज है या आफत?'


पवन lab assistant है, 19 साल का लड़का, BCA final year में है , और data networks and communication  में मास्टर है....part time मेरे कॉलेज में 6000 रूपये महीने पर जॉब करता है....ये जब जॉब के लिए आया था तो lab in-charge रावत के सामने मैंने इसका support किया था, तब से मेरा अच्छा दोस्त है. उसके पास पैसे की तंगी रहती ही, पापा नहीं है...शहर से काफी बाहर रहता है....लेकिन बहुत स्वाभिमानी है, और मेरा बहुत अच्छा दोस्त भी.


            'क्या यार विवेक, तुम भी, वो रावत मुझे डांटेगा अभी.'


            'एक तो वैसे ही मूड ऑफ है ऊपर से तुम भी......'
        
           'फिर नीरजा से लड़ाई?'
          
            'नहीं यार she is a good girl ..... साल्ले मेरी एक faculty ने नाटक किया.....'
          
             'चलो छोडो यार, कोई ब्लॉग पढो, तुम्हे अच्छा लगेगा....वैसे, आज में दोस्तों को पार्टी दे रहा हूँ, आओगे?'


             'कहाँ?'


            'वृन्दावन ढाबा, 8.30 बजे'


            'किस ख़ुशी में?'
          
            'वहीं बताऊंगा'


           'ठीक है, फिक्स 8.30 पर वहीं मिलता हूँ.'


 '......सुरीली अंखियों बाली, सुना है......' मेरा फ़ोन बजता है, ....oh! god ये भी silent पर नहीं था......
मैं कंप्यूटर रूम से बाहर निकल कर बात करता हूँ.


              'चलो आदित्य की क्लास ख़त्म, मैं gate पर हूँ, तुम्हारा wait कर रही हूँ.....घर चलते हैं.' आदतन नीरजा बिना मेरा जवाब जाने ही फ़ोन काट देती है.


                                               *******


                'ये मेरी स्कूटी है और मैं चलाऊँगी, पीछे बैठो.' वो मुझे अपना बैग पकडाते हुए बोलती है.


                'हाँ, तू और तेरी सड़ी सी पिंकी.'
            
                 'just shut up '


पिंकी उसकी पिंक कलर की स्कूटी का नाम है......लडकियां कितनी अजीब होती हैं, अपने taddy , lappy से लेकर स्कूटी तक का नाम रख लेती हैं.


               'कल coaching में मिलते हैं, टेक केयर....'
              
               'you too, और हाँ, मेरे लम्बू-पंडित का भी ख्याल रखना.'
            
               'shut up, he is my papa. he is a nice guy .'
            
               ' i know ........bye '


               'byeeeeeeeeeeeeeeeee '


नीरजा चतुर्वेदी के 6 .3" लम्बे पापा Mr. R . V . चतुर्वेदी को मैं पसंद नहीं हूँ......शायद मैं थोडा rude हूँ, या शायद उनके बाद नीरजा के सबसे करीब....या शायद he is over -protective to her daughter.......जो भी है but overall he is a nice guy .

Thursday, April 7, 2011

BakBak: Yeh Saali Zindagi

        Enrique चाचू के पाँचों एल्बम बार-बार सुनने के बाद अब नये सिंगर को खोजा जा रहा है,  और खोज ख़त्म हुई है Arash पर, इनके फारसी गाने समझ में न आये लेकिन ताश के पत्तों के बीच  सिर्फ म्यूजिक ही याद रहता है, इसलिए हमें ज्यादा फर्क नहीं पड़ता...... इसके साथ  'Always' सोंग गाने बाली Aysel की आवाज़ तो 'सुपर सेक्सी' है....दोस्त की बात सुन हम हँसते हैं.......2 महीने का कॉलेज, फिर पकाऊ ज़िन्दगी, कॉलेज के इस तरफ हम ज़िन्दगी को घुमाते हैं, और उस तरफ ज़िन्दगी हमें......'रंग दे बसंती' का हर डायलोग सच नज़र आता है.....

      'सॉरी, वो उस दिन के लिए तुम गुस्सा तो नहीं थे न?' वो बोलती है......दुनिया की जहां आधी आवादी को खाने को नहीं मिलता है, जहां 66% भारतीय बच्चे कुपोषित हैं, जहां सरकारें बजट का 70% तक खुद डकार जाती हैं, और बच्चे 'माँ की हड्डी से चिपक ठिठुर, जाढे की रात बिताते हैं', वहीं इन्हें इन फ़ालतू के Emotions की पड़ी है, कितने लकी हैं हम जिनका पेट भरा है, तो इश्क के बारे में सोच तो सकते हैं. अभी इतनी रात को फुटपाथ पर भूखे बैठे होते तो चाँद में भी रोटी नज़र आ रही होती, उसकी शक्ल नहीं.......मैं मेरे पापा को थैंक्स कहता हूँ की उन्होंने इतना कमाया की हमारा पेट भरा है और इतना Capable बनाया की अपना पेट भर सकता हूँ, जबकि देश की आधी आवादी मूलभूत रोटी, कपडा और मकान के लिए तरश रही है........और इसलिए भी की उन्होंने उस वहां हेल्थ फेसिलिटीज़ दी, जहां से एक ढंग का अस्पताल 50 किलोमीटर दूर है, और जाने के साधनों में सिर्फ ट्रेक्टर है.....बेचारा बीमार तो पहुँचते-पहुँचते ही मर जायेगा......
             ' तुम Administration (PSC) की तैयारी करो, तुम्हारा GK अच्छा है.'......मेरे अन्दर एक प्रश्न है, अफसर बनकर किसपर हुक्म चलाओगे? यहांके आधे लोग इतने भूखे की एक हज़ार रूपये के लिए कई जान ले ले और साहूकारों के सामने बहु-बेटियाँ तक चढाने को तैयार हैं, जब कुछ भी नहीं है बेवसी में आत्महत्या कर रहे हैं या इतने सताए की आप उनपर अपना शासन चला के भी कुछ नहीं उखाड़ पाओगे, हज़ारों बर्वरता से पुलिस द्वारा मारे जाते हैं, और आतंकी या नक्सली करार कर दिए जाते हैं, या कुछ इतने निष्ठुर की चंद पैसों से आगे उनके सोचने की क्षमता नहीं जाती......कभी-कभी लगता है, हम उस दल-दल के कीड़े है, जिन्हें रेंगना है, और वो भी उतना ही जितना की सरकार हुक्म दे.....हुक्मरानों की बिछाई बिसात पे मोहरे बदले जाते हैं और हम तो वो पैदल भी नहीं जिन्हें जंग में ही सही कम से कम इज्ज़त की मौत तो नसीब होती है......मैं कभी-कभी चीखना चाहता हूँ, कि मैं इस दल-दल का हिस्सा बनना नहीं चाहता.

                 सड़क पर कचरा बीनने बाले बच्चे 'Right to Education' पर गन्दा मज़ाक लगते हैं, उन्ही में से कोई सड़क पर हादसे का शिकार हो जाये.........और उसके शरीर को उठाने बाला भी कोई न हो तो........!!!.......... लावारिश सी ज़िन्दगी में वो लावारिश लाश ज़िन्दगी भर याद रहेगी. 

कुछ हाल भोपाल की सडको से--

                  




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अन्ना हजारे, तुम्हारे प्रयास व्यर्थ न जाये.........तुम्हें प्रणाम!!