Tuesday, September 26, 2023

शौर्य गाथा 78

 भाईसाहब की मम्मा की तबियत ठीक नहीं है, वो 'कुछ भी हो जाये, मुझे मत जगाना' कह बैडरूम का दरवाजा बंद कर सोने चली गई है। पापा 'भूकंप आया, भागो! भागो!' कहकर जगाना चाहते हैं, पर बेचारी की तबियत का हाल देख 'ओके' कह देते हैं। 

अब भाईसाहब और पापा अकेले हैं।  भाईसाहब टीवी लगाने की जिद करते हैं पापा थोड़ी देर के लिए लगा देते हैं, साथ में दूध पिलाना शुरू करते हैं।  भाईसाहब का हाथ पड़ता है और आधा दूध बिखर जाता है। "पापा सोल्ली" भाईसाहब बड़े क्यूटली कहते हैं, पापा मुस्कुराते हैं। 

अब भाईसाहब टीवी देख रहे हैं और पापा दूध साफ कर रहे हैं। 

कुछ देर बाद पापा बहाने से टीवी बंद कर इन्हें दूसरे रूम में ले जाते हैं।  इनका छोटा सामान जैसे मौजे, नीकैप, टाई एक बास्केट में रखे हुए हैं।  वो बास्केट इनके हाथ लग जाती है। 

भाईसाहब एक एककर सारा सामान बेडपर बिखरा देते हैं। इन्होंने मौजे पहन लिए हैं और हाथ में भी मौजे ही पहने जा रहे हैं कि  यकायक से चिल्लाते हैं  'पापा मेरे मौजे उतारो। ' पापा मौजे निकालते हैं और ये तेजी से बेड के नीचे भागते हैं। "पापा मैंने पुट्टी कर ली।" शुक्र है भाईसाहब ने डायपर पहना हुआ है, नहीं तो... 

पापा क्लीन करा कर बेड पर लाये हैं और भाईसाहब फिर मौजों से खेलने में व्यस्त हो गए हैं। 

पापा लाइट बंद करते हैं , 'आओ तुम्हें चाँद पर ले जाएँ ' गाना लगाते हैं , भाईसाहब को थोड़ा डांटकर 'सो जाओ, सो जाओ...' बोलते हैं लेकिन भाईसाहब "नहीं पापा " कह खेलने में व्यस्त हैं। 

पापा घड़ी देखते हैं, ग्यारह बज गए है।  तभी बैडरूम का गेट खुलता है और मम्मा निकलकर कहती है "अरे जबतक माहौल नहीं बनाओगे तबतक ये कहाँ सोयेंगे। ऐसे तो दो बजा देंगे ये। " मम्मा एक झपकी पूरी करने के बाद उठ गई है। 

पापा माहौल नहीं बना रहे थे तो क्या तम्बूरा बजा रहे थे? हुंह!

पापा भाईसाहब को उठाकर बैडरूम ले जाते हैं , उन्होंने हाथ-पांवों दोनों में ही मौजे पहन रखे हैं!

"शौर्य सो जाओ चुपचाप, बाहर हाथी  आ गया है, वो आ जायेगा...  सो जाओ..." मम्मा थोड़ा डांटकर बोलती है। 

भाईसाहब मम्मा से चिपककर दस मिनट में सो जाते हैं! पापा कभी भाईसाहब का चेहरा देख रहे हैं, कभी मम्मा का।