Friday, November 25, 2022

शौर्य गाथा : 'वि.. देत.. पानी ताओ'

 


भाईसाहब को रात 8 बजे से 10 बजे तक सुलाने की पूरी कोशिशें की जा चुकी हैं लेकिन भाईसाहब तो भाईसाहब हैं. 'यदा मनः तदा कर्म.' इसलिए वो उछल कूद में ही लगे हुए हैं.

अब मम्मा उन्हें कुछ खिला रही हैं, पापा मम्मा को दृश्यम-2 देखने जाना है इसलिए दृश्यम के रिवीजन के लिए टीवी साथ में देखी जा रही है.

मम्मा पापा बोलती हैं, 'यार विवेक, इन्हें पीने पानी ले आओ न.' पापा अजय देवगन की 'दो अक्टूबर वाली कहानी' में उलझे हैं, टीवी पर आंख गड़ाए रहते हैं.

अब भाईसाहब मम्मा की गोदी से उठते हैं, पापा के पास आते हैं, पापा का हाथ पकड़ते हैं और तेज आवाज में बोलते हैं 'वि.. देत.. पानी ताओ... पानी...'

पापा मम्मा की हंसी छूट जाती है. पापा पानी लाते हैं, भाईसाहब अपनी छोटी सी चोंच डालकर पानी पीते हैं. पापा उनसे पूछते हैं 'ठीक है?' भाईसाहब बोलते है 'ती..क... है'

रात 11.30 बज गए हैं. भाईसाहब अपनी कार पे बैठ हॉल में घूम रहे हैं, पापा मम्मा उनके थकने का इंतजार कर रहे हैं.

#शौर्य_गाथा

शौर्य गाथा : पा..पा.., पा..पा.. वि.. देत..



 इनकी मम्मा मुझे आवाज दे रही हैं 'विवेक... विवेक...' मैं मोबाइल में घुसा हुआ हूं इसलिए सुन नहीं पाता हूं. इतने में भाईसाहब एक्टिव हो जाते हैं. दूर से चिल्ला कर कहते हैं 'वि.. दे.. त.. मम्मा बुलाई.' मैं उनके बोलने पर हंस देता हूं लेकिन जानबूझकर इग्नोर करता हूं तो ये फिर से आवाज देते हैं 'विदे.. त.. मम्मा बुलाई' अब मैं इनकी ओर देखता हूं और भाईसाहब क्यूट सी स्माइल करते हुए कहते हैं 'पा..पा.., पा..पा.. वि.. देत..'

अब मम्मा इन्हें मोरल एजुकेशन का पाठ पढ़ाती हैं, 'पापा को पापा कहते हैं नाम नहीं लेते.' इतने में मैं बोल देता हूं 'निधि... निधि...' और भाईसाहब शुरू हो जाते हैं 'नि.. धी... पापा बुलाई.' 😃
अब मम्मा मुझे घूर रही हैं.😄