Friday, January 30, 2015

Bapu's Love Letter to Ba

दिनांक- 09/11/1908

कस्तूरबा,

तुम्हारी तबीयत के बारे में श्रीधीर ने आज तार भेजा है, मेरा दिल चूर-चूर हो रहा है. लेकिन तुम्हारी चाकरी करने के लिए आ सकूं, ऐसी हालत नहीं है. सत्याग्रह की लड़ाई में मैंने सबकुछ लगा दिया है. मैं वहां आ ही नहीं सकता. जुर्माना भरूं तभी आ सकता हूं और जुर्माना तो हरगिज नहीं दिया जा सकता.
तुम हिम्मत बांधे रखना. अच्छे से खाना खाओगी तो ठीक हो जाओगी. फिर भी मेरी बदकिस्मती से तुम जाओगी ही. अगर ऐसा होगा तो मैं तुमको इतना ही लिखता हूं कि तुम जुदाई में, पर मेरे जीते जी, चल बसोगी तो मेरी बात न होगी. मेरा प्यार तुम पर इतना है कि मरने पर भी तुम मेरे मन में हमेशा जिंदा रहोगी. यह मैं तुमको पूरे विश्वास से कहता हूं.
अगर तुम्हारा जाना ही हुआ, तो तुम्हारे बाद मैं दूसरी स्त्री नहीं करनेवाला हूं. यह मैंने तुम्हें पहले भी एक-दो बार कहा है. तुम ईश्वर पर यकीन रखकर प्राण छोड़ना. तुम मरोगी तो वह भी सत्याग्रह का एक अंग होगा. मेरी लड़ाई सिर्फ राजनीतिक नहीं है, बल्कि धर्म की लड़ाई है.यानि बहुत ही पवित्र लड़ाई है. इसमें मर भी जाये तो क्या और जीते रहें तो भी क्या? तुम भी ऐसा ही मानकर अपने मन में थोड़ा भी बुरा भाव नहीं लाओगी, ऐसी मुझे उम्मीद है, तुमसे यही कामना है.

गांधी

स्रोतः लव लेटर्स, प्रकाश पंडित.