पापा ऑफिस से आए हैं, भाईसाहब सो रहे हैं. कुछ देर में भाईसाहब जागते हैं और पापा को hug कर लेते हैं. उन्हें जागते ही पापा पर बहुत लाड़ आ रहा है.
पापा अब तक की सबसे टफ टास्क - भाईसाहब को गोद में लेकर सीताफल खिलाने में संलग्न होते हैं. हर पॉड के बीज से दल को अलग कर भाईसाहब को खिलाना होता है. साथ में पापा भी खा रहे हैं. दोनों मिलकर 4-5 सीताफल चट कर जाते हैं.
मम्मा ऑफिस से आती है, दृश्य देख पापा को डांट पड़ती है. भाईसाहब को सर्दी जल्दी हो जाती है और शाम में सीताफल खिलाया जा रहा है! थोड़ी थोड़ी सर्दी तो उन्हें अभी भी है.
भाईसाहब मम्मा के पास जाते हैं और मम्मा से सीताफल की ओर हाथ से इशारा कर बोलते हैं मम्मा 'औल ताहिए.' पापा की हंसी निकल जाती है, मम्मा उन्हें लुक देती हैं.
रात में भाईसाहब को खांसी होती है, पापा पर डांट पड़ती है. अगले दिन डॉक्टर साहब सर्दी खांसी का कारण शाम में फल खाना बोलते हैं, पापा पर फिर डांट पड़ती है. दो दिन बाद दादू आते हैं, भाईसाहब को बीमार देखते हैं और पापा को फिर डांट पड़ती है.
पापा अकेले में भाईसाहब के पास जाते हैं उनसे रिक्वेस्ट करते हैं को बेटा आप जल्दी ठीक हो जाओ नहीं तो मैं डांट ही खाता रहूंगा. भाईसाहब बोलते हैं 'ओते पापा.'
बेचारे पापा ने घर में सीताफल लाने से ही तौबा कर लिया है.
#शौर्य_गाथा
No comments:
Post a Comment