Wednesday, January 24, 2024

मां बिन दो दिन | पार्ट 5


पापा को मम्मा बिन दो दिन और दो रात बड़ी मेहनत करनी पड़ी है। भाईसाहब को दिनभर खेलों में व्यस्त रखा गया है, रात में अनेकानेक प्रयत्न कर सुलाया गया है और सुबह सुबह भाईसाहब के जागने से पहले उनके पास खड़े मिले हैं, जिससे वे सुबह जागते ही मम्मा को याद न करने लगे। कल तड़के सुबह मम्मा ट्रेन से आने वाली है और पापा को डर है कि भाईसाहब को सर्दी है तो पक्का मम्मा उन्हें कुछ न कुछ बोलेगी। फिलहाल बड़ी मुश्किल से बारह बजे तक भाईसाहब को सुलाया जा सका है। पापा ने सुबह चार बजे का अलार्म भरा है कि मम्मा की ट्रेन के समय जाग जाएं। पापा इस डर से कि अलार्म से भाईसाहब न जाग जाएं अलार्म से पंद्रह मिनट पहले ही अपने आप ही जाग गए हैं। पापा उठने की कोशिश करते हैं और भाईसाहब पापा से और अधिक चिपक गए हैं। पापा धीमे धीमे अपने को हटाते हैं और अपनी जगह को तकिए से रिप्लेस करते हैं। भाईसाहब कुनमुनाकर फिर से गए हैं।
मम्मा तड़के सुबह आ गई है और सुबह साढ़े नौ बजे जागने वाले भाईसाहब मम्मा की आहट से सुबह छः बजे ही जाग गए हैं। जागते ही भाईसाहब मम्मा से चिपक गए हैं। मम्मा उनकी आवाज सुनते ही बोलती है "इन्हें तो सर्दी हो गई है। ऐसे ख्याल रखा है यार....!" पापा को पता था कि ये होने वाला है। पापा कुछ बोलें उसके पहले ही उनको भी छींक आ जाती है और मम्मा फिर से बोलती है "आपको भी हो गई! खुद का भी ध्यान नहीं रखा!!" पापा मुस्कुरा रहे हैं। "अच्छा, मॉर्निंग वॉक पे गए थे?" मम्मा पूछती है। पापा अपनी हैल्थ का भी ध्यान कम रखते हैं। पापा हां में जवाब देते हैं।
मैं और शौर्य मम्मा की ओर ऐसे देख रहे हैं जैसे पूछ रहे हों "इतने प्रश्न क्यूं यार!" और मम्मा ऐसे देख रही है जैसे कह रही हो "भई, ध्यान रखना पड़ता है।"
...और मम्मा पापा को hug कर लेती है। भाईसाहब अभी भी मम्मा से चिपके हुए हैं।

Saturday, January 20, 2024

मां बिन दो दिन | Part 4


भाई साहब एक किताब लेकर आए हैं। मैं देखता हूं दीवान ए ग़ालिब है।
भाईसाहब: "पापा पापा मैं इस पर लिखूंगा।"
पापा: "अरे यह कौन सी किताब है?"
"पापा ये कॉपी है... कॉपी। मैं इस पर लिखूंगा।"
"अच्छा इस कॉपी पर क्या बना है?"
"पापा भगवान बने हैं... भगवान जी।"
मैं मुस्कुराता हूं। सोचता हूं ग़ालिब के चाहने वालों ने तो कम से कम उन्हें ईश्वर की तरह पूजा ही है।
पापा: "अरे आप मेरे हाथ पर लिख दो न। पापा की पेंटिंग कर दो।"
भाईसाहब को ये आईडिया ज्यादा पसंद आया है। वे पापा के हाथ पर अपनी सुप्रसिद्ध मॉडर्न आर्ट बनाने लगे हैं।
भाई साहब ने बनाने बनाते एक हार्ट (Heart) भी बना दिया है। इन्हें आने लगा है बनाना!
"आपने तो हार्ट बना दिया" पापा बोलते हैं। भाईसाहब बेफिक्र हैं। जैसे कोई उम्दा आर्टिस्ट बस अपने काम से काम रखता है, वैसे ही बिना सर उठा कहते हैं "पापा पापा मैं तो हार्ट भी बना लेता हूं।"
पापा मुस्कुरा रहे हैं। वहां ग़ालिब भी मुस्कुरा रहे हैं। शुक्र है उनका चेहरा मॉडर्न आर्ट का कैनवास बनने से बच गया।
लेकिन तभी भाईसाहब तोतली भाषा में बोलते हैं "पापा, पापा मम्मा कहां गई... मुझे मम्मा के हाथ पर भी बनाना है।"
...और बस, पापा भाईसाहब को कहीं और उलझाने में लग गए हैं।

Thursday, January 18, 2024

मां बिन दो दिन | Part 3


पापा शाम 7:15 बजे से ही भाई साहब को गोद में ले घूम रहे हैं। सारे घर की लाइट बंद हैं। 15 मिनट घूमने के बाद पापा इनको बेड पर लिटाकर खुद भी बगल में लेट जाते हैं। भाई साहब भी 'पापा की मेहनत को सम्मान देने' 15 मिनट तक आंखें बंद कर लेते रहते हैं फिर करवट बदलकर कहते हैं "पापा सोना नहीं है... नानी के रूम में चलो।" पापा ने मुस्कुराते हुए उठाते हैं और नानी के रूम में लेकर जाते हैं।
अब भाई साहब नाना नानी के साथ खेलने लगे हैं। नानी पराठा बना कर लाती है... भाईसाहब पराठा खा रहे हैं। नानू के साथ खिलखिला रहे हैं। ग्रैंड पैरेंट्स कितने अमेजिंग होते हैं न! कितनी जल्दी बच्चों से घुलमिल जाते हैं। उन्हें बच्चों को संभालने के कितने तरीके पता होते हैं। नाना नानी दिनभर भाईसाहब के साथ खेल रहे हैं, उन्हें खिला रहे हैं, उनके साथ डांस कर रहे हैं और मम्मा की याद नहीं आने दे रहे हैं।
तरकरीबन 9:30 बजे पापा उन्हें गोदी लेते हैं, एक बार और सुलाने की कोशिश कर रहे हैं। भाई साहब का फेवरेट गाना गाया जा रहा है। भाईसाहब दिनभर के थके हुए इसलिए पापा की गोदी में सोने लगे हैं।
पापा बेडपर बगल में उनसे चिपककर लेट जाते हैं। पंद्रह मिनट में ही भाईसाहब सो गए हैं।
दिनभर की मेहनत काम आई है। भाईसाहब पर्याप्त थके थे, इसलिए सोते समय मम्मा को याद नहीं किया है।
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सुबह 6:00 बजे भाई साहब जाग गए हैं। भाईसाहब की रनिंग नोज हो रही है। रात में ये ओढ़ते नहीं है। पापा ने 1:00 बजे तक तो जागकर उन्होंने उढ़ाया, फिर पापा ही सो गए। पापा को भी छींकें आ रही हैं। पापा भी नहीं ओढ़े हैं। रात भर जाग जागकर हम 'दोनों बच्चों' को जो ओढ़ाती थी वह तो अभी घर है नहीं। पापा और भाईसाहब दोनों ही मम्मा को अत्यधिक मिस कर रहे हैं। पापा इन्हें पेट पीठ गले में बेबीरब मलते हैं। ओढ़ाकर-छाती से चिपकाकर कहानी सुनाई जा रही है। फाइनली भाईसाहब 7:00 बजे सो गए हैं... पापा भी अब मॉर्निंग वॉक पर निकले हैं... दो-तीन घंटे तक भाई साहब सोएंगे ही।

Wednesday, January 17, 2024

मां बिन दो दिन | Part 2


आज पापा के दो ही टारगेट हैं -
एक, दिनभर भाईसाहब मम्मा को याद न करें।
दो, दिनभर में भाईसाहब इतना थक जाएं कि रात में जल्दी सो जाएं।
पापा दिन भर का प्लान बनाते हैं। भाईसाहब सुबह उठते ही मम्मा या पापा बोलते हैं और जिसका नाम लिया उसी की गोदी में आकर ही रूम से निकलते हैं। भाई साहब अभी से इतनी स्पेसिफिक हैं! पापा सुबह 9:30 बजे से ही भाईसाहब के पास में बगल में लेट जा गए हैं, भाईसाहब कल लेट सोए थे तो आज लेट उठने वाले हैं। करीब 10:00 बजे भाईसाहब जागते हैं और बगल में मुस्कुराते पापा दिखते हैं तो खुद ही भी मुस्कुराते हुए "पापा... पापा..." बोलते हैं और गोदी में आ जाते हैं।
चलो पहले पार्ट में पापा को सफलता मिल रही है।
पापा दिन भर में उन्हें क्रिकेट खिलाते हैं। 'तोहली अंतल' बहुत अच्छा क्रिकेट खेल रहे हैं। 300- 400 मीटर दूर एक स्कूल है, वहां तक वॉक पर लेकर चलते हैं। भाईसाहब चलते चलते प्यारी प्यारी बातें कर रहे हैं। पापा को भी 'हैंगआउट विद शौर्य' में मजा आ रहा है। बीच में डॉग मिलता है। भौंकता है। भाईसाहब: "पापा, ये बेड डॉगी है।"पापा दसवीं बार हम्म्म में जवाब देते हैं। भाईसाहब शशि दीदी अच्छी है... पुतरा तेज चलो... मैं तिरतेत खेलता हूं... और जाने क्या-क्या बोल रहे हैं।
शाम में भाई साहब नानू के साथ में बम बम बोले... मस्ती पर डोले... पर डांस कर रहे हैं। भाईसाहब नानू को बता रहे हैं कि "ये ईशान भैया की मूवी का गाना है।" नाना नानी दिनभर से केयर कर रहे हैं। उनका प्यार अद्भुत और अपूर्व है!
हमने मिलकर दिनभर मम्मा की याद नहीं आने दी है। फाइनली 7:00 बजे से हमें लगने लगा कि भाईसाहब को नींद आने लगी...

Monday, January 15, 2024

मां बिन दो दिन | Part 1


मम्मा को रात में ओवरनाइट ट्रेन से कांफ्रेंस के लिए जाना है इसलिए भाई साहब का ध्यान भटकाना जरूरी है। भाईसाहब कह रहे हैं "पापा तेत थाना है तेत। बर्थडे वाला तेत।" पापा को आइडिया आता है और पापा उन्हें ले जाते हैं केक लाने। भाईसाहब एक पेस्ट्री तो वहीं बेकरी पर ही चट कर जाते हैं और दूसरी मांगते हैं "पापा और भी खिलाओ ना।"
पापा "बेटा अब घर पर खायेंगे न।"
भाईसाहब "ओते पापा।"
पापा पेस्ट्री के साथ मम्मा के लिए ट्रेवलिंग के हिसाब से कुछ खाने के लिए भी ले लेते हैं। भाईसाहब को अपना मनपसंद खाने मिल गया है। अब भाईसाहब थोड़े कूल हैं।
पापा मम्मा को छोड़ने गए हैं, भाईसाहब नाना नानी के साथ हैं और ध्यान भटकाने टीवी तो है ही।
पापा लौट कर आते हैं। टीवी में चींटी घुस गई है कह नानू टीवी ऑफ करते हैं। भाईसाहब के टेंट्रम चालू होते हैं। पापा उन्हें गोदी में उठा लेते हैं। बना बनाकर कहानी सुनाई जा रही है। रात 11:30 बज रहे हैं। नानू भी बगल में लेटे हैं। पापा को लगता है भाईसाहब सोने वाले हैं कि भाईसाहब बोलते हैं "पापा, मम्मा कहां गई?"
पापा: "बेटा ऑफिस में है ना। आ जाएगी चिंता मत करो।"
भाई साहब आंखें मूंद रहे हैं कि फिर 10 मिनट बाद "पापा, मम्मा कहां गई?" पापा वही जवाब देकर सुलाने की कोशिश करते हैं। वो सो नहीं रहे हैं तो नानू उनसे कहते हैं "अरे! मेरा शौर्य छुप जाता है।" भाईसाहब रजाई में नानू के साथ छुप रहे हैं। पापा ढूंढने की 'कोशिश' करते हैं पर उन्हें ढूंढ नहीं पा रहे हैं। रात 12:30 बजने कोई हैं... भाईसाहब आधी नींद में आ गए हैं... यकायक से "पापा, पापा...गोदी... गोदी।" कहने लगते हैं।
पापा गोदी में लेते हैं। भाईसाहब 15 मिनट में सो जाते हैं। पापा और नानू ने चैन की सांस ली है।

Wednesday, January 10, 2024

शौर्य गाथा 101.

 चाचू भाईसाहब को पुतरा (मतलब : गुड्डा, Doll) बोलते हैं। भाईसाहब को ये शब्द रट गया है। भाईसाहब जब अच्छे मूड में होते हैं (मतलब पेट भरा हो, नींद पूरी हो) तो पापा के पास आते हैं, पापा के पेट पर चढ़ते हैं और गालों को हाथ में ले खिलाते हैं और कहते हैं "पुतरा ता तल लहे हो? तलो थेलने तले?"

अब पापा भाईसाहब के गुड्डा हो गए हैं! खुद के गुड्डे का गुड्डा होना कितना प्यारा है ना!!
पापा उन्हें प्यार से सीने से लगा लेते हैं। भाईसाहब बोल रहे हैं "अले! प्याल नहीं तलो। थेलो, थेलो! मैं तोहली अंकल हूं ना...!"

Saturday, January 6, 2024

शौर्य गाथा 100.

 भाई साहब को भी नेमप्लेट चाहिए। भाईसाहब की जिद है तो पापा को पूरी करनी पड़ेगी। पापा बनवा देते हैं। अब भाईसाहब दिन रात उसे लगाए घूम रहे हैं। जागते कुछ याद आए न आए, नेमप्लेट याद जरूर रहती है।

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भाईसाहब जागे है और जागते ही पापा की गोदी चढ़ गए हैं।
पापा भाईसाहब का गाल चूमते हुए गुड मॉर्निंग बोलते हैं। भाईसाहब पापा का चेहरा दोनों हाथों में लेकर पापा के होंठ अपने माथे पर रख देते हैं। पापा माथा चूमते हैं।
पापा को उनके इस एक्ट से स्वर्गानुभूति महसूस होती है।

Thursday, January 4, 2024

शौर्य गाथा 99.

 भाईसाहब दिन-ब-दिन बड़े हो रहे हैं और साथ ही बातूनी भी होते का रहे हैं। उनके मुख से निकले तोतले शब्दों को सुनना आनंददायक है। बोलने की समझ विकसित होते देख आप आश्चर्य से भर उठते हैं!

एक बार बोलते हैं "मम्मा ऑफिस में (ये अपने स्कूल को ऑफिस कहते हैं, जैसे मम्मा पापा का ऑफिस है वैसे ही इनका भी है।) मेले दोस्त मुझे चॉकलेट देते हैं l"
मम्मा: "लेकिन चॉकलेट खाना तो बुरी बात होती है।"
भाईसाहब तुरंत पलट जाते हैं "मम्मा, अले... चॉकलेट नहीं... बादाम दिया था।"
भाईसाहब में इतनी जल्दी आ रही समझ पर हम बहुत हंसते हैं।
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ऐसे ही भाई साहब की मौसी आई हुई है। उनके साथ उनकी 2 महीने की बेटी भी है। भाईसाहब देखकर बहुत खुश हैं। बोल रहे हैं "मैं खिलाऊंगा, अपने साथ रखूंगा।"
मम्मा: "अरे बेबी तो मेरी है ना।"
भाईसाहब: "अले! मेली भी तो है ना।"
भाईसाहब में किस बात पर 'भी' बोलना है किस बात पर नहीं की भी समझ आ गई है! इतनी समझदारी देखकर हम आश्चर्यचकित हैं।