Thursday, March 3, 2011

'हर एक दिन चांदनी की तरह.......

             इश्क की बायलोजी हमें कभी समझ ना आई, प्यार उससे हुआ जो 10 में से 7 दिन गुस्सा रहती है. शायद जन्नत में इश्क जनने बाले को भी लगता होगा ये क्या बना दिया..... इश्क जब बदबू देने लगता है तो लगता है किसी हाई-वे पे लगे 6-7 घंटे के जाम में आप फंसे हैं और म्यूजिक सिस्टम तक 'टाइम पास' करने के लिए नहीं है, और साल्ला पीछे भी नहीं जा सकते, और 'यू-टर्न'  भी नहीं ले सकते........दिल का मामला है, फंसता है तो दर्द बहुत देता है.
                   भाई आया है, आते ही बोलता है, इतना गन्दा रूम, कैसे रहते होगे........बालकनी में पड़े कचरे के ढेर को देख उसे आश्चर्य होता है. सुबह उसे लगता है कितनी बोरिंग लाइफ है तुम्हारी.....और रात को जब 10 बजे से पत्ते शुरू हो जाते हैं, और ENRIQUE चाचू के गानों के बीच फड़ जमती है.......फिर रात 1.00 बजे की 'मैगी' नूडल्स,  तो उसे लगता है कितने एश कर रहा हूँ....लेकिन फ़ालतू अभी भी हूँ. 'विवेक भैया' तुम्हारे पास कुछ काम तो है नहीं. हम बेचारे भी बस मुस्कुरा के रह जाते हैं.  कैसे बताये MBBS बालों की तरह 11-11 घंटे पढ़े तो सटिया ना जाएँगे.
        ये कुछ नया सा है, जैसे RODIES 8.0  के ओडिसंस देखना सबको पसंद है, दूसरों को गालियाँ मिलती हैं, तालियाँ हमारे रूम में बजती हैं. मसलन चीजें अच्छी ना होकर 'सेक्सी' हो गयी हैं, जैसे हम 'होटल राजहंस' खाना खाने इसलिए नहीं जाते क्यूंकि वहां की सब्जियां हमारे रूममेट को 'सेक्सी' नहीं लगती और मेरे पास बाइक इसलिए नहीं है क्यूंकि मेरे भाई को 'सेक्सी बाइक' चाहिए और 1st इयर में ही उन्हें 'सेक्सी बाइक' देना पापा को मुनासिब नहीं है.
    कॉलेज की चारदीवारी से निकलने का वक़्त हो गया है, लेकिन चाहत किसी की नहीं है. चाहत हो स्कूल से निकलने की भी नहीं थी. विपिन बोलता है नवोदय ग्रेजुअशन तक होना चाहिए..........'और ग्रेजुअशन का टाइम कम से कम 5-6 साल, B. Tech जैसा 4 साल नहीं, अमित हाँ में हां मिलाते बोलता है.........' वैसे  5-6 साल का ग्रेजुअशन का कौन सा कोर्स होता है?' एक नया प्रश्न उठा है..........'MBBS का'.......'तो रहने दो, हम नही कर पाते, इतना पकना अपने बस में नहीं'......और सब हंस पड़ते हैं, भाई का चेहरा देखने लायक है.
           हम अपने दोस्त की इंटरव्यू की प्रेक्टिस करा रहे है.......' What's your name?' .......... 'What's my name, What's my name, माय  नेम इज़ शीला, शीला की जवानी'.........Interview की जगह पूरा रूम कॉमेडी सर्कस का मंच बन गया है.
              पता में 62 Kg का हो गया हूँ,......'तुम मज़ाक कर रहे हो, अभी पिछले साल तो तुम 53 के थे' उसको बिलीव ही नहीं होता है..... 'हाँ, और तुम 42 Kg की हो, ज्यादा मत इतराओ'...........'So What, I Have a Perfect Figure'.........मैं जोर-जोर से हंस देता हूँ. वो फ़ोन रख देती है.......'साल्ला जब से करीना ने Zero Figure बनाया है लडकियां इनविज़िबल-सी दिखने लगी हैं, दूर से देखो तो पता ही नहीं चलता की वहां कोई खड़ा है, 'हम आपके हैं कौन' की माधुरी भी इनके चक्कर में आंटी लगती है' बातें सुन रहा बगल में बैठा दोस्त बोलता है............हम बड़ी देर तक हँसते रहते हैं.
         कॉलेज में 'आरक्षण' फिल्म की शूटिंग का 'कैंटीन का सेट' अभी तक बना हुआ है, वहीँ खड़े होकर हम सैफ, दीपिका की तरह एक्टिंग कर रहे हैं, और बीच में हंसी के ठहाके...........मुझे लगता है जैसे गूंजती हंसी बस कुछ दिन की बची है, एक दिन की चांदनी की तरह.....3 महीने बाद हम कहाँ, तुम कहाँ!!
चार साल चार दिन की तरह गुजर गये, यहाँ तक की सचिन को भी 200 रन बनाए एक साल हो गया..और हमें आज भी लगता है जैसे ये कल की ही बात है. 

32 comments:

स्वप्न मञ्जूषा said...

अरे वाह ..! हमें भी याद आ ही गया वो हमारा हॉस्टल, वो कॉमन रूम वो हमारा खिलखिलाना और जोर जोर से गाना...
अच्छा लगा तुम्हें पढना...

ZEAL said...

The post made me nostalgic .

आशुतोष की कलम said...

Mujhe mera college yad aa gaya yaar...
greattttttttttt

rashmi ravija said...

एकदम रिफ्रेशिंग पोस्ट मजा आ गया....
बहुत ही सहजता से लिखा है...keep writing such posts...mood ban jaata hai :)

cbjainbigstar said...

BAHUT HI ACHCHHI TARAH SAFGOI SE SACH LIKH JATE HO.VISWAS HI NAHIN HOTA TUM ENGINEER HO.AISE HI LIKHTE RAHO..."SKY IS THE LIMIT WHEN U DREAM IT".

Dr Varsha Singh said...

इश्क की बायलोजी ???.....Oh! no dear, It's chemistry.

Very interesting post.
Very nice.
Your hearty welcome in my blogs.

VIVEK VK JAIN said...

@Dr.Varsha, no mam, its biology coz love is interesting as biology but tougher as its figures...... really. Bachpan se aasan lage bali bio last me itni tough hui ki mei engg me chala gya.....aur shuru me aasan lagne bala ishq itna tough hua ki me pareshaan ho gya.

VIVEK VK JAIN said...

@cbj, kabhi-kabhi to mujhe bhi nhi lagta. :)) mujhe pataa hai aap try karenge to sabse achha likhenge.

VIVEK VK JAIN said...

@rashmi ji, thanks for such a wob=nderful comment...... i will try to improve myself so that aapke mood ke sayth saht din bhi ban jaaye. :))

VIVEK VK JAIN said...

@ada, divya ji thanks for appreciation.
@ashutoshji, thanks a lot.

दर्शन कौर धनोय said...

वाह ! विवेक, इस उम्र में तुमने कालेज के ' वो' खुशनुमा दिन याद दिला दिए (तुम कह सकती हु न,मेरे बेटे की उम्र के हो? )
तुम्हारा हिंदी लेखन मुझे बहुत भाया|
यदि मेरे ब्लाक पर नही आए होते तो इस शख्सियत से महरूम रहती --धन्यवाद

रंजू भाटिया said...

बढ़िया लिखते हैं आप कई साल पीछे चले गए हम भी इसको पढ़ते पढ़ते :)

Saumya said...

sigh!!!...i just love ur narration style...n cud always relate to the content....after all ham bhi engineering student hain :)

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Very different and interesting post.... nice

amit kumar srivastava said...

good yaar ,keep it up.

Sunil Kumar said...

इश्क की बायलोजी ?
कुछ अलग सी समझने में समय लगेगा ....

amrendra "amar" said...

waah bahut rochak " Koi lauta de mere bite hue din"
wakai me aapne to hume bachpan ki sair kara di ........bahut khub

VIVEK VK JAIN said...

@darshan kaur ji bilkul kah sakti h....and thanks for visit and appreciation.

VIVEK VK JAIN said...

@rajna ji, thanks :)

VIVEK VK JAIN said...

@soumya Thanks yaar... engg bale bechaaro me tum b ho. :)
vaise, im enjoying more than u, coz hostels have different stories.

VIVEK VK JAIN said...

@minicaji Thanku mam and thanks for coming!

VIVEK VK JAIN said...

@amit ji thnks a tonne sir.

VIVEK VK JAIN said...

@amrend thanks for following!

VIVEK VK JAIN said...

@sunil kumar ji its biology coz love is interesting as biology but tougher as its figures...... really. Bachpan se aasan lage bali bio last me itni tough hui ki mei engg me chala gya.....aur shuru me aasan lagne bala ishq itna tough hua ki me pareshaan ho gya.

महेन्‍द्र वर्मा said...

दिन, महीने, साल कैसे बीत जाते हैं, पता नहीं चल पाता।
अच्छा संस्मरण।

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत ही अच्छा लिखा है!

Sawai Singh Rajpurohit said...

मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!".

आपके सुझाव और संदेश जरुर दे!

दिगम्बर नासवा said...

ग़ज़ब ... कुछ ही लाइनों में जिंदगी के सबसे सुहाने लम्हों ने खैंच लिया ....

दिगम्बर नासवा said...

Are you from Faridabad ... ?

vijay kumar sappatti said...

bhaiyya , pahli baar aaya hoon ,. kya kahun , abhi to sirf salaam bajaata hoon aapke hunar par .. gazab ka likhte ho...yaar !!


badhayi sweekar kare..

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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html

abhi said...

सही में दोस्त...एकदम रिफ्रेशिंग सा है लगा ये पोस्ट.!!
अच्छा लगा!

nisha said...

mast hai.....
dil ki aawaj