Tuesday, November 22, 2022

शौर्य_गाथा : चाचू



 भाईसाहब को पापा नहला रहे हैं. भाईसाहब ज्यादा खुश नहीं हैं. उन्हें पानी में 'फच्च... फच्च...' करना अच्छा लगता है और पापा हमेशा मना करते हैं. थोड़ी देर में चाचू आ जाते हैं और नहलाने का ऑफर देते हैं. चाचू को देख भाईसाहब बहुत खुश हैं. पापा तुरंत 'हां' कर देते हैं. अब चाचू भाईसाहब को नहला रहे हैं और भाईसाहब बड़े खुश हैं, इतना कि इनकी हंसी सुन सुनकर घर के बाकि लोग वाशरूम के बाहर खड़े हो गए हैं. भाईसाहब ने बहुत ज्यादा फच्च... फच्च... किया है, चाचू थोड़े भींग गए हैं लेकिन नहलाकर बड़े सुकून में हैं. भाईसाहब चाचू से भी ज्यादा खुश हैं, उन्हें उनके मन का करते हुए नहलाया गया है.

चाचू अनुसार सुरेंद्र झा 'सुमन' जी के शब्दों में कहें तो दृश्य कुछ इस तरह का रहा -
दाख मधुर, मधु मधुर पुनि मधुर सिता रस घोल
ताहू सँ बढ़ि - चढ़ि मधुर लटपट तोतर बोल।
अद्भुत शिशु-संसार ई जतय अबोधे बुद्ध
अक्षर अक्षर क्षरित जत अटपट भाषे शुद्ध।
लुलितकेश, तन नगन, मन मगन, धूसरित पूत
राग द्वेष लव लेश नहि शिशु अद्भुत अवधूत।

शौर्य गाथा : भाई


 

भाईसाहब जब अपने भाई से अगस्त में मिले थे तो भाई पर अत्यधिक प्यार बरसाया था. इतना कि मम्मा से बार बार बोल रहे थे कि भाई को भी गोदी ले लो. लेकिन भाई तो छोटे हैं, भले ही तीन महीने सही. तो भाई ने एक बार जोर से एक टॉय कार हाथ से घुमाई और भाईसाहब की नाक के ऊपर हल्का कट लग गया. लेकिन मजाल की भाईसाहब ने गुस्सा किया हो. वो उतना ही प्यार बरसाते रहे.

भाईसाहब में अभी से बड़प्पन आ गया है. उनसे बड़े पर भले ही गुस्से में वो हाथ उठा दें लेकिन छोटो को उनकी गलती पर भी माफ कर देते हैं. 😃
भाईसाहब अब फिर से दीपावली पर भाई से मिलेंगे. मम्मा पापा की प्लानिंग ये है कि फिर से भाईसाहब या भाई चोटिल न हो जाएं, इसलिए दोनों बच्चों का ख्याल रखा जाएगा. लेकिन दोनों के भ्रातृ-स्नेह का असली पता तो अब दीपावली पर ही चलेगा.
फ़ोटो:- दादू की गोद में भाईसाहब और भाई.