Tuesday, August 2, 2022

भोपालनामा

 'मैं अपने हिस्से की ज़िन्दगी तुम्हारे पास छोड़ के जा रहा हूं' लड़का जाते जाते बोलता है. लड़की को कुछ समझ नहीं आता.

लड़का अजीब है उसे दुनिया के सारे इल्म चाहिए. पढ़ता है तो पागलों की तरह पढ़ता है, लिखता है तो पागलों सा. कई कई घंटे तेज आवाज़ में गाने सुनता है. वो भी 60s के गाने, क्लासिकल या इंस्ट्रुमेंटल. लड़का घूमता है, उस फोटोग्राफी का शौक है. जैसे उसे सबकुछ सबकुछ ही भरना है अपने अंदर!
लड़की अलग है, लड़के से बिल्कुल अलग. ज़िन्दगी के कैलकुलेशन में उलझी है. एक ओर ज़िन्दगी उसके मज़े लेने पे तुली है दूसरी ओर वो लड़के का हाथ थाम सुकून पाती है. लड़के को हग करते वो सबकुछ सबकुछ भूल जाती है. लड़की के ज्यादा शौक नहीं. ना ज्यादा पढ़ती है ना सोलो ट्रिप से कोई प्लान हैं. लेकिन जब लिखती है... लड़के पे लिखती है तो अमृता प्रीतम हो जाती है.
लड़का लड़की एक दूसरे के साथ होते हैं तो दिन भर लड़ते हैं. लड़के का खाना लड़की से लड़े बिना नहीं पचता. लड़की कहती है कि उम्र भर साथ रहे तो एक दूसरे की जान ले लेंगे, अच्छा हुआ उम्र भर के वादे नहीं हैं.
लड़का जा रहा है शहर छोड़ के हमेशा हमेशा के लिए. लड़की आखिरी दफे गले लगती है. लड़के की आँखों में आंसू हैं... 'अबे ऐसे रो रहे हो जैसे उम्र भर न मिलना हो. मैं आ रही हूँ कुछ दिन में... तुम्हारे शहर.'
लड़का हाँ में जवाब देता है. लड़के के अंदर अजीब सा भय है. उसे अजीब सा शक है कि ये आखिरी हग है. वो लड़की को चूमता है... आखिरी दफे!
लड़का जाता है सोलो ट्रिप पर.... नार्थ-ईस्ट. लड़की जाने के बाद एकटक घूरती रहती है दरवाजा. जैसे दरवाजे उसकी जान ले के कोई जा रहा हो.
लड़की तीन दिन से सोई नहीं है. होंठो पे आखिरी बोसे के निशान अभी तक ज़िंदा करके रखे हैं. पता नहीं कहाँ कहाँ से लड़के के क्या क्या ख्याल ले के आती है... कि नींद में भी बड़बड़ाती है.
ट्वेंटी सेवन किल्ड इन आ ट्रैन एक्सीडेंट' अख़बार के फ्रंट पेज की खबर है.
दरवाजे से सच में लड़की की जान गई थी! अख़बार मौत की खबर लाने बने हैं!
लड़की लड़के के शहर जाती है.... भोपाल. लेक के किनारे, सड़कों पर, भारत भवन और लड़की के होंठों पर आखिरी बोसे में... बस यादें बची हैं.
'मैं अपने हिस्से की ज़िन्दगी तुम्हारे पास छोड़ के जा रहा हूं... लेकिन लड़की ने खुद के हिस्से का ही जीना छोड़ दिया है... लड़की अब किसी से भी नहीं झगड़ती...