Thursday, January 18, 2024

मां बिन दो दिन | Part 3


पापा शाम 7:15 बजे से ही भाई साहब को गोद में ले घूम रहे हैं। सारे घर की लाइट बंद हैं। 15 मिनट घूमने के बाद पापा इनको बेड पर लिटाकर खुद भी बगल में लेट जाते हैं। भाई साहब भी 'पापा की मेहनत को सम्मान देने' 15 मिनट तक आंखें बंद कर लेते रहते हैं फिर करवट बदलकर कहते हैं "पापा सोना नहीं है... नानी के रूम में चलो।" पापा ने मुस्कुराते हुए उठाते हैं और नानी के रूम में लेकर जाते हैं।
अब भाई साहब नाना नानी के साथ खेलने लगे हैं। नानी पराठा बना कर लाती है... भाईसाहब पराठा खा रहे हैं। नानू के साथ खिलखिला रहे हैं। ग्रैंड पैरेंट्स कितने अमेजिंग होते हैं न! कितनी जल्दी बच्चों से घुलमिल जाते हैं। उन्हें बच्चों को संभालने के कितने तरीके पता होते हैं। नाना नानी दिनभर भाईसाहब के साथ खेल रहे हैं, उन्हें खिला रहे हैं, उनके साथ डांस कर रहे हैं और मम्मा की याद नहीं आने दे रहे हैं।
तरकरीबन 9:30 बजे पापा उन्हें गोदी लेते हैं, एक बार और सुलाने की कोशिश कर रहे हैं। भाई साहब का फेवरेट गाना गाया जा रहा है। भाईसाहब दिनभर के थके हुए इसलिए पापा की गोदी में सोने लगे हैं।
पापा बेडपर बगल में उनसे चिपककर लेट जाते हैं। पंद्रह मिनट में ही भाईसाहब सो गए हैं।
दिनभर की मेहनत काम आई है। भाईसाहब पर्याप्त थके थे, इसलिए सोते समय मम्मा को याद नहीं किया है।
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सुबह 6:00 बजे भाई साहब जाग गए हैं। भाईसाहब की रनिंग नोज हो रही है। रात में ये ओढ़ते नहीं है। पापा ने 1:00 बजे तक तो जागकर उन्होंने उढ़ाया, फिर पापा ही सो गए। पापा को भी छींकें आ रही हैं। पापा भी नहीं ओढ़े हैं। रात भर जाग जागकर हम 'दोनों बच्चों' को जो ओढ़ाती थी वह तो अभी घर है नहीं। पापा और भाईसाहब दोनों ही मम्मा को अत्यधिक मिस कर रहे हैं। पापा इन्हें पेट पीठ गले में बेबीरब मलते हैं। ओढ़ाकर-छाती से चिपकाकर कहानी सुनाई जा रही है। फाइनली भाईसाहब 7:00 बजे सो गए हैं... पापा भी अब मॉर्निंग वॉक पर निकले हैं... दो-तीन घंटे तक भाई साहब सोएंगे ही।

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