भाईसाहब की नानी अनुसार भाईसाहब बाड़ में हैं। मतलब बढ़ने की उम्र है। मतलब लंबाई बढ़ेगी और दुबले होना शुरू होंगे। लेकिन पापा को भाईसाहब कुछ और ही बाड़ समझ में आ रही है। भाईसाहब अभी 2 साल 7 माह और 15 दिन के हुए हैं, किंतु पिछले 1 महीने से उनकी समझ यकायक से बढ़ गई है। साथ ही ढेर सारा बोलने लगे हैं। बहुत सारी बातें लगातार... थकते नहीं है। आप सुनते-सुनते थक जाएंगे। जितनी सारी बातें बढ़ गई हैं उतनी सारी समझदारी भी... बहुत तेजी से!
मसलन एक बार पापा के साथ कार में हैं।
भाईसाहब पट से जवाब देते हैं "पापा आप परेशान होना नहीं... मैं डलवा दूंगा दीदल."
इतनी प्यारी सी आवाज में इतनी समझदारी वाली बात!
भाई साहब ने एक दिन कुछ कर दिया है, शायद खिलौने बिखरा दिए हैं।
मम्मा: "आपने ऐसा क्यों किया?"
भाईसाहब: "मैंने इसलिए ऐसा तिया था त्यूंती थेलना था।"
ये 'इसलिए' बोलकर सही से जवाब देना पहली बार हुआ है।
ऐसे ही दो दिन पहले ही भाईसाहब क्रिकेट बैट लेकर आते हैं। "पापा थेलो-थेलो (खेलो) मैं तोहली हूं... मालूंगा।"
ये कोहली बैटिंग करता है, शॉट्स मारता है भाईसाहब ने अपने से ही पापा-मम्मा को बात करते हुए कैच किया है।
पापा-मम्मा अपनी कन्वर्सेशन में भी बहुत कॉन्शियस हो गए हैं। भाईसाहब की बाड़ में समझदारी की भी बाढ़ आ गई है!
फोटो: Papa's Little Monk(ey)
No comments:
Post a Comment