Thursday, November 23, 2023

शौर्य गाथा 89.



 भाईसाहब बोलते हैं "पापा, आओ... इधर आओ..." पापा कहीं व्यस्त हैं। इग्नोर कर देते हैं।

भाईसाहब फिर चिल्लाते हैं "पापा, पापा विदेत... विदित पापा..." पापा फिर सुनते नहीं हैं।
अब भाईसाहब अपनी आवाज का माड्यूलेशन बदलते हैं, थोड़ा सा प्यार आवाज में डालते हैं और बोलना शुरू करते हैं "विवू ... विवु... विदेत... सुनो न... विवु विदेत..." पापा की ये सुनकर हंसी छूट जाती है। पापा उन्हें गोद में उठा लेते हैं। ये 'विवू' भाईसाहब ने कभी मम्मा को बोलते सुना है इसलिए जुबां पर आ गया है।
अभी दो-तीन महीने से ज्यादा समझने लगे हैं। बहुत सारा ऑब्जर्व करते हैं... बहुत सारा बोलने लगे हैं।
पापा अगर घर पर कुछ बोलें भाईसाहब वाइस मॉड्यूलेशन तक कॉपी कर रिपीट करते हैं। मसलन ऑफिस से आकर बोलें "निधि मैं थक गया..." तो भाईसाहब भी मम्मा की ओर पलटकर तुरंत पापा को रिपीट करके बोलेंगे "निधि, मैं थक गया हूं.. थक गया हूं..." हम सब उनकी ऐसी हरकतें देख हंस पड़ते हैं।
मुझे लगता है बच्चों की इस उम्र (ढाई से तीन वर्ष) में हमें बहुत कुछ सोच समझकर बोलने और कहने की जरूरत होती है। ये सब कुछ तुरंत सीख लेते हैं। मैं कोशिश कर रहा हूं की सोच समझकर इनके सामने बोलूं। अगर इसी उम्र में आपका बच्चा है तो आप भी कीजिए...
फोटो: भाईसाहब और चाचू

No comments: