Wednesday, February 24, 2016

देशभक्ति | अनुराग आर्य

आपकी देशभक्ति हिलोरे मारती है, बात-बात पर आपका खून उबलता है, शहीदों को अक्सर आप याद करते रहते है. पर आपका कोई बच्चा आर्मी या पैरामिलटरी फ़ोर्स ज्वाइन नहीं करता. वो या दूकान पर बैठता है या सहूलियत की कोई नौकरी लेता है.अजीब इत्तेफ़ाक़ है पिछली कई पीढ़ियों से आपके यहाँ से किसी के अंदर सेना में जाने की इच्छा नहीं हुईन आपके मोहल्ले से, न आपके गाँव से!

आप देशभक्त हैं. इन दिनों रा-ज़रा सी बात पर बॉईलिंग पॉइंट को आपका खून टच करता रहता हैबाहर नौकरी का मौका मिलते ही आप दो सेकण्ड सोचने में नहीं लगाते,कागजात इकट्ठे करने के जुगाड़ में लगते हो. "अपॉरचुनिटी अच्छी है " का डायलॉग आप अपने बूढ़े माँ-बाप और रिश्तेदारों से शेयर करते हो, पर चार साल बाद बैंगलोर, नोएडा,हैदराबाद, मुंबई, गुड़गांव से अच्छी सैलरी की ऑफर के बाद भी आप वापस नहीं आना चाहते. 
नहीं यार, क़्वालिटी ऑफ़ लाइफ़’ नहीं है" कहीं यारों से कहते होबहुत बार पर्स्यूकरने पर "नहीं यार वो नहीं आना चाहती" कहकर आप शील्ड ले लेते हो.

अपनी गिल्ट आप भारत आये किसी नेता के सांस्कृतिक कार्यकर्म में तिरंगे कलर का कुर्ते पजामा पहनकर काम करते हो या इण्डिया के किसी क्रिकेट मैच में अपने फेस पर ट्राइकलर लगाकर. 

रात को फेसबुक पर आप जे एन यू की सब्सीसीडी बंद करने को सपोर्ट का हैशटैग करते हो. 

पता नहीं आपके इंस्टीट्यूट की सब्सिडी की भरपाई कौन करेगा.
 
आप की देशभक्ति और धर्म पिछली अप्रैल से सेंसिटिव हो गए है. बात-बात पर आपको धर्म याद आता है. धर्म से राष्ट्रप्रेम.

आपसे पूछा जाता है अथर्ववेद और ऋग्वेद में अंतर क्या है तो आपको पानी की प्यास लगने लगती है.
 
गायत्री मन्त्र लिखने को कहा जाये तो आपसे लिखा नहीं जाता अर्थ पूछने पर आप गूगल करते हो. 

जतिन दास कौन थे ये आपके लिए मुश्किल प्रश्न है.

आप ही इन दिनों सबसे बड़े राष्ट्रप्रेमी है और धर्म के लम्बरदार हैं!

-- Anurag Arya ( http://anuragarya.blogspot.com )

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