इक ख़त, जिसमें लिखा था कि
कितनी मोहब्बत है हमें
बस लिखा गया, कभी भेजा नहीं गया।
एक ख़त, जिसमें लिखा था कि
कितनी मोहब्बत है तुम्हें,
एक कविता जिसमें तुमने इश्क को
नमक की तरह स्वादानुसार
जरूरत कहा था
मैंने दूसरी दफा नहीं पढ़ी।
एक कविता जिसमें लम्स का एहसास
अनंत तक रहता है साथ
मेरी फेवरेट है।
अपृथक की जाने वाली जगहों से
तुम्हारे अनुसार
स्त्री खरोंच खरोंचकर कर दी गई है अलग।
मेरे अनुसार
प्रेम, आस्था, समर्पण और उत्तरदायित्व
इनमें से किसी एक की कमी
किसी पुरुष में,
उसे इतना कमजोर बनाती है
कि स्त्री से वह दुर्भावनापूर्ण व्यवहार करता है।
एक स्त्री, एक प्रेम
उतने ही पवित्र हैं
जितनी मंदिर में रखी अबोध प्रतिमा!
Vivek Vk Jain | Dec 2022
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