भाईसाहब के पास सब है जिसकी जिद करते हैं... पापा उन्हें दिलाते रहते हैं, मम्मा डांटती रहती है कि "आप सारी जिद मान लेते हैं... ऐसे सारी जिद थोड़ी न पूरी की जाती हैं... उसे 'न' सुनना भी सीखना होगा ना!"
हालांकि पापा धीरे-धीरे न कहना सीख रहे हैं... मम्मा की डांट का असर भी हो रहा है और पापा भी धीमे-धीमे 'पापा' बन रहे हैं।
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