कहानी के हर किरदार के पात्र होते हैं
तुम्हारा किरदार ही पूरी कहानी है.
मैं नहीं कहूंगा की तुम लेफ्ट थे या समाजवादी
या तुम्हे कौन हाईजैक कर रहा है
मुझे तुम्हारी आइडियोलॉजी (विचारधरा) से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता
मुझे इस बात से फर्क पडता है
कि उम्र तेईस में तुममें राष्ट्र, आज़ादी और विचारधाराओं के प्रति
इतनी चेतना जागृत हो गई थी.
मैं तो स्व को ढूंढने में ही तेईस का हो गया था,
और अभी तक ढूंढ रहा हूँ.
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