Friday, December 5, 2014

'गोलू' तुम्हारे लिए




              अगर हथौड़ा होता मेरे पास तो मैं वक़्त तोड़ डालता...एक एक पल रखता और 'धाड़' से करता चकनाचूर... लेकिन मुझे हथौड़ा चलाना नहीं आता और लम्हे भी तो साल्ले कांच के नहीं बने होते!... खैर इतना मुझे पता है कि तुम्हें पढ़ने में दिक्कत होगी और शायद समझने में भी... उतनी ही जितनी कि मुझे कन्नड़ समझने में होती है... लेकिन फिर भी तुम पढोगे... तुम शायद यकीन करो तो मैसूर से जो मैंने पाया है और जो अब तक बचा के अपने पास रखा है उनमें से एक तुम हो. खैर अगर तुम मेरी अच्छी दोस्त नहीं होती तब भी उतनी ही स्वीट होती और उतनी ही अच्छी... जितनी हो. सच कहूँ, तुम्हारे कल के लिए थोड़ा सा डर रहा हूँ. तुम जैसे हो बस मैं हमेशा तुम्हें वैसे ही देखना चाहता हूँ.. बेपरवाह, खुश-दिल और हँसते हुए. शादी मुबारक 'गोलू'. मेरा अभी वहां न होना एक छोटा पल है और कभी मेरा वहां होना एक खूबसूरत लम्हा होगा...

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