Wednesday, September 10, 2014

छल



परेशानी ये है
कि बिम्बिसार है महत्वपूर्ण
श्रेणिक बन जैनों में, बिम्बिसार बन बौद्धों में
और ब्राह्मणों में.
परेशानी ये है
कि अजातशत्रु ने पिता बिम्बिसार का
कर वध पाया साम्राज्य,
फिर भी पायेगा मोक्ष एक दिन
हर मतानुसार.
असल परेशानी ये है
धर्म बढ़ता है राजनीति के संरक्षण में
और राजनीति को भी चाहिए
धर्म की ओट.

परेशानी ये है
कि मुझे प्रेम है 'साहिरा' से
वो मुस्लिम, मैं हिन्दू!
परेशानी ये है
सत्तापक्ष ने कहा है इसे 'लव जिहाद'.
अल्पसंख्यक समूह भी
करना चाहता है हमारा क़त्ल.
परेशानी ये है
अब हमारा प्रेम हमारे घर वालों की बस
परेशानी नहीं रहा
न रहा हम तक सीमित.
परेशानी ये है
राजनीति ने धर्म की ओट ली
धर्म ने राजनीति का संरक्षण.

उस टीले पे, जहां
चारों तरफ बिखरी पड़ी हैं लाशें,
मैं कतार में खड़ा
हमारी बारी का इंतज़ार कर रहा हूँ
मेरे पीछे खड़ी है 'साहिरा'.
मेरे कंधे की ओट से
आँखों में डर, दया और बेचारगी ले
झांक रही है.
उसे शायद अब भी यकीन होगा कि
मेरा पौरुष उसे बचा लेगा.

परेशानी ये है कि
सामने धर्मांध खड़े हैं,
सिकंदर नहीं कि
किसी हारे पुरू के पौरुष पे
अभयदान मिले.

परेशानी ये है
कि धर्म डर से चलता है
धर्मांध डरपोक होते हैं
जो अपना डर आमजन तक फैलाते हैं.

मुझे मौत से पहले
गांधी का कहा याद आता है-
'स्वतंत्रता वे डरपोक लोग छीनते हैं,
जिन्हें स्वतंत्रता छिनने का डर रहता है.'

हमारी लाशें जुलूस बन जाती हैं,
गन्दगी, जिसे समाज कहते हैं
हमारा उदाहरण ले सबको डराती है.
हमारे वालिद भी मौत पे
आंसू नहीं बहाते.
किसी भी थाने में हमारी हत्या का केस
दर्ज़ नहीं!

परेशानी ये है
जब राजनीति को धर्म की ओट
और धर्म को राजनीति का संरक्षण मिलता है
समाज छला जाता है.


1 comment:

sneha jain said...

विचारपरक