तुम जड़ हो पत्थर पे उस कोने में बैठ जाना
जहां से किवदंतियां सच लगती हैं,
फिर पुकारना अपना महान अतीत,
करना उसका गुणगान,
और जब कुछ न बचे,
लोग न माने
तो बिछा देना लाशें.
आखिर तुम्हारी महान संस्कृति,
महान अतीत के खातिर
वर्त्तमान की
दो चार लाशें गिरना तो बनता है!