पत्थरों पे बिखरे निशां
अन्दर तपते लोग!
तुम्हारी मेहनतें
रौंदते चले जाते हैं हम....
कुछ-कुछ कैद कर लेते हैं-
आँखों में, फोटो में.
क्या तुम बताओगे शिल्पी
'कि तुम्हें हमारे देखने की
ख़ुशी होती है,
या हमारे रौंदने का गम?'
Pic: Chennakesava Temple @Belure