Thursday, March 7, 2024

शौर्य गाथा 112.

 भाईसाहब की पेंटिंग स्किल्स बेहतर होती जा रही हैं, साथ ही अब वे दीवारों को अपना कैनवास भी कम बना रहे हैं, इसलिए मम्मा पापा ने भी चैन की सांस ली हुई है.

भाईसाहब ने सेंटर टेबल पर crayons से बहुत अच्छी आकृति बनाई है. पापा को ये बहुत प्यारी लगती है "बेटा ये क्या बनाया? अब्स्ट्रैक्ट आर्ट है?"
भाईसाहब: "पापा मैंने अपनी ताल (Car) के लिए लोड (Road) बनाया है. अले! लोड नहीं था न, तो आदे तैसे जाती!!"
भाईसाहब प्यारी सी जुबां में बिलकुल सटीक जवाब देते हैं. पापा उनकी समझदारी देखकर अचरज में हैं!

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