Friday, March 1, 2024

शौर्य गाथा 111.

 पापा भाईसाहब को सुलाने की कोशिश कर रहे हैं। "बेटा क्लोज योर आईज़।" पापा बोलते हैं।

भाईसाहब तुरंत आंख बंद कर लेते हैं। फिर पापा से बोलते हैं "पापा, बोलो ओपन योर आईज़।"
पापा बोलते हैं "ओपन योर आईज़।"
भाईसाहब आंखें खोल लेते हैं।
भाईसाहब फिर बोलते हैं "पापा बोलो क्लोज योर आईज़।"
पापा "क्लोज योर आईज़।"
भाईसाहब आंखें बंद कर लेते हैं।
फिर खुद से ही 'ओपन योर आईज़', 'क्लोज योर आईज़' बोल बोलकर, गर्दन मटका मटकाकर आंखें बंद करना, खोलना शुरू कर दिया है।
पापा देख देखकर मुस्कुरा रहे हैं। थककर उन्होंने सुलाने के इरादे त्याग दिए हैं।

No comments: