तुम्हारे ब्रह्मांड में जा
तुम्हारे होंठों को चूम ले.
मेरी कविता की बस यही चाह है.
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तुम्हारी पीठ पर
जो कवितायें लिखीं गईं
वे ही सबसे सुंदर कवितायें थीं.
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जिन कविताओं को
तुमने होंठों से लगाया.
वे ही मुकम्मल घोषित की गईं.
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मेरे पास बंदूक है
मैं उस पर कविता रख
सुकूं से सो जाता हूं.
सिर्फ कविता
बंदूक सुला सकती है,
शांति स्थापित कर सकती है.
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मैं लिखता हूं
कविता,
कि एक रोज
तुम तक पहुंच ये
तुम्हारे होंठों को चूमेगी.
मेरी याद में तुम हथेलियां सहलाओगी.
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एक कविता युद्ध को सहला रही थी
युद्ध जर्जर था युद्धोपरांत.
युद्ध दौरान कविता
टूटी मानवता को सहलाती रही,
युद्ध उपरांत युद्ध को.
युद्ध और क्रोध तोड़ते हैं विरोधी,
साथ ही स्वयं को...
कविता ने कहा उस रोज.
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युद्ध और प्रेम में हमेशा
युद्ध चुना गया.
होंठों और बंदूक में
बंदूक चुनी गई.
यह मानवीय निर्बलता है
कि युद्ध आसान है,
प्रेम कठिन.
गले लगाना, होंठ चूमना
बंदूक उठाने से
ज्यादा साहस का काम है.
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तुमसे प्रेम
अनायास नहीं था.
तुम्हारी सुंदर आंखों में
आंसू
सीने में सैलाब
जिस्म में जज़्बा
जेहन में विचार
इरादों में पंख थे.
ये रेयर कॉम्बिनेशन हैं.
तुम्हें छू में तरंगित था
चूमकर बुद्ध हुआ
जब जब सीने से लगे तुम
मैं खुद को खोता गया,
तुम्हारा होता गया।
बताओ,
तुमसे प्रेम न हो तो किससे होता!
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तुम्हारी पीठ पर लिखे हैं
मैंने सबसे सुंदर शब्द
तुम्हारे हाथों में छोड़ी है
सबसे सुंदर एहसास.
मैं कहीं भी रहूं,
तुम जहां भी रहो
थककर, हारकर
आंसू, उन्माद लिए
तुमतक पहुंच जाता हूं.
तुम मेरा घर हो.
तुमसे प्रेमकर मैंने जाना दोस्त,
घर सिर्फ जगहें नहीं होती
लोग भी होते हैं!
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फोटो : इंटरनेट
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