Monday, May 28, 2018

प्यार के अलावा


मैंने देह और प्रेम में खालिश प्रेम चुना
उसने समाज और मुझमें समाज
मैंने गीत और जुगनू में से कुछ न चुना
दोनों को आग लगा दी.
उसने आखिरी बार लिखा
‘प्यार के अलावा भी बहुत कुछ है दुनिया में’
बहुत कुछ प्यार से बड़ा था
प्यार बहुत कुछ न था.
उसने नीली आँखों में जीभर मुझे भरा
उजली हंसी से चूमा
दांतों में मेरे जिस्म छोड़ा, अटकाई यादें
फिर मुस्कुराने की दवा बताई
जैसे वो कोई हुनरमंद डेंटिस्ट हो.
फिर बहुत कुछ के पास चली गई
प्यार यहीं रह गया
जिसे मैंने बेटी की तरह पाला
और सिखाया कि प्यार बहुत कुछ से बहुत बड़ा है, सभी कुछ है.
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प्यार के अलावा दुनिया में बस प्यार है.
अगर नहीं है
तो तुमने अपने आसपास एक झूठी दुनिया बनाई है
जो दवाओं के असर में मुस्कुरा रही है.

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