Wednesday, January 31, 2018

बुद्ध होना


बुद्ध होना चाहता हूं, किन्तु तुम्हारे साथ.
तुम यशोधरा नहीं
न मैं सिद्धार्थ,
कि छोड़ तुम्हें उम्र भर करूंगा साधना.
तुम्हारे पोपले गाल,
झुर्रियों वाला चेहरा
और वही प्रकाशित दिल
मेरी साधना - तुम्हें इस उम्र तक प्यार करना है.
तुम्हें छूना योग है,
तुम्हें चूमना भक्ति है,
तुमसे लिपटना बोधिसत्व होना है.
मेरे बोधिवृक्ष!
तुम्हारी बाहें वे टहनियां हैं
जिनकी छांव में
मैं बोधिसत्व पाऊंगा.
तुम्हारी ऊष्मा
वह स्वर्गीय प्रकाश उपजाती है
जिसमें मुझे केवल्य मिलेगा.
अगर तुम्हारे बिना
मेरा बुद्ध होना नियति है
तो मैं इसका त्याग करता हूं.
क्योंकि तुम्हारे साथ होना ही
मेरा बुद्ध होना है.

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