मत जाओ बहुत दूर
नहीं एक दिन के लिये भी नहीं
मत जाओ बहुत दूर एक दिन के लिये भी नहीं क्योंकि--
क्योंकि-- नहीं जानता कैसे कहूँ : एक दिन बहुत लंबा वक़्त होता है
और मैं तुम्हारा इंतज़ार करता रहूँगा जैसे खड़ा किसी खाली स्टेशन पर
जब कि ट्रेनें खड़ी हों कहीं और, नींद में......
नहीं एक दिन के लिये भी नहीं
मत जाओ बहुत दूर एक दिन के लिये भी नहीं क्योंकि--
क्योंकि-- नहीं जानता कैसे कहूँ : एक दिन बहुत लंबा वक़्त होता है
और मैं तुम्हारा इंतज़ार करता रहूँगा जैसे खड़ा किसी खाली स्टेशन पर
जब कि ट्रेनें खड़ी हों कहीं और, नींद में......
घंटे भर को भी मुझे मत छोड़ना क्योंकि
तब पीड़ा की सारी छोटी-छोटी बूँदें बहने लगेंगी एक साथ
एक घर की खोज में भटकता है जो धुआँ वो
बह आयेगा मेरे भीतर, मेरे खोए हृदय का दम घोंटता.
तब पीड़ा की सारी छोटी-छोटी बूँदें बहने लगेंगी एक साथ
एक घर की खोज में भटकता है जो धुआँ वो
बह आयेगा मेरे भीतर, मेरे खोए हृदय का दम घोंटता.
ओह! सागरतट पर तुम्हारी प्रतिच्छाया विलीन न हो कभी
न कभी फड़फड़ाएँ तुम्हारी पलकें किन्हीं निर्जन फासलों पे
मुझे एक क्षण को भी मत छोड़ना मेरी प्रियतम!!
न कभी फड़फड़ाएँ तुम्हारी पलकें किन्हीं निर्जन फासलों पे
मुझे एक क्षण को भी मत छोड़ना मेरी प्रियतम!!
क्योंकि उस एक क्षण में तुम इतनी दूर जा चुकी होगी
कि मै पूरी पृथ्वी पर भटकूँगा भूला हुआ-सा
पूछ्ता
क्या तुम वापस आओगी?
क्या तुम छोड़ दोगी मुझे यहाँ
मरता?
कि मै पूरी पृथ्वी पर भटकूँगा भूला हुआ-सा
पूछ्ता
क्या तुम वापस आओगी?
क्या तुम छोड़ दोगी मुझे यहाँ
मरता?
--पाब्लो नेरूदा
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