Tuesday, October 20, 2015

तुम

तुम-1
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तुम रात की ख़ब्त हो
दिन का सबेरा
मोहब्बत हो मेरी
या दिमाग का दही.

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तुम-2
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मैं अँधेरे में पैदल चल सकता हूँ
आँख बंद कर
...रास्ता गर तुम तक जाता हो.




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