Saturday, August 15, 2015

लेखक और उनका चिंतन


मैंने पढ़े कई लेखक
और उनका चिंतन.
फिर मैंने सारा का सारा जला दिया.
और दिमाग से निकाल दी
उनकी कही बातें.

उनका खुद का जीवन भरोसे के लायक न था.
न उनका चिंतन देश, दिशा बदल सकता था,
न उनका पेट भर पाया,
न मेरा भर सकता था.

मैंने अब रोटी जुगाड़ने के तरीकों की किताब खरीदी  है.

1 comment:

indianrj said...

मन को छूती यथार्थवादी पंकितयां!!