Tuesday, January 6, 2015

आदमी

अँधेरे के भेद ये हैं
कि आदमी अँधेरे में औरतें निगल जाता है;
आदमी पुरुष होता है.
अगली सुबह फिर आदमी भीड़ में दुबक जाता है,
जब तक ऑफिस से आ
हुक्म नहीं चलाता बीवी पर
आदमी चूहा है.
फिर रात, फिर पुरुषत्व,
फिर दिन, फिर चुहत्व!

हद आदमी, हद आदमी,
बेहद ही करतब आदमी.
भाड़ का चना आदमी
उछला-उछला फिरा आदमी.
सड़क पे नंगा मरा आदमी,
सौ-सौ टके बचा आदमी.

आदमी की दुम है
कुत्तों से ज्यादा हिलती है
जिसको हिले, उसको दिखे
जिसकी हिले, उसको दिखे
जितनी हिले दुम, उतने सभ्य तुम!
जितनी हिले दुम, उतने भव्य तुम!

रिश्तों का दगा आदमी,
दुम का सगा आदमी.

करतब के बन्दर ने ताड़ी पी
अब आदमी सा हिलता है
अब साहब होता है, जब
किसी छोटे बन्दर से मिलता है,
या ऐंठ में पहलवान की
पीछे दुम हिलाये चलता है.

औरत की पीठ के नीले निशान आदमी,
बच्चे की सिसकन में कमाल आदमी!
चुहत्व, पुरुषत्व का विकास आदमी
ताश सा बिखरा, हताश आदमी.

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