सड़कनामा
प्यार करना बहुत ही सहज है, जैसे कि ज़ुल्म को झेलते हुए ख़ुद को लड़ाई के लिए तैयार करना. -पाश
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Shaurya Gatha Book
Pablo Neruda
Douglas Malloch
Monday, May 6, 2013
रोज़गार और माँ
हर दफा घर से निकलते
पोंछना चाहता हूँ
तेरे आंसू.
हर रात,
सिरहाने तेरा हाथ
तकिया बना नज़र आता है.
रोटियों को अलट-पलट
देखता हूँ कई बार.
कि तेरे लम्स का कुछ एहसास हो.
हर दिन,
घर आना चाहता हूँ 'माँ'.
लेकिन क्या करूँ,
रोज़गार भी एक बड़ा मसला है.
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