Saturday, August 18, 2012

तुम कभी आओ तो......


तुम कभी आओ तो
चिराग बन मत आना
मुझे तीरगी पसंद है अब.

तुम कभी आओ

तो हवाएं बन मत आना
अब घर में झरोखे नहीं हैं.
बादल भी मत बनना, बारिश भी नहीं,
माना सहरा बहुत है यहाँ,
लेकिन प्यास वो नहीं रही.
उलझन मत बनना, आशा मत बनना,
बेईमानी का सबब है सब.
पहले भी आ चुके तो तुम येसे.

तुम कभी आओ तो

खुदा भी मत बनना.
खुदा के पास
देने रंज-ओ-गम बहुत है,
ख़ुशी कम!

तुम कभी आओ तो......

अच्छा आना ही मत!
अब टुकडो में रहने कि
आदत पड़ गई है.
 संवारना मत,
सम्हालना मत,
अकेलापन हटाना मत.
तुम कभी आना मत
.



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तीरगी -अँधेरा 
सहरा -रेगिस्तान 

3 comments:

Vipin said...

Very nice...rockstar ban riye ho yar..dil tak utar gayi...adbhut abhivyakti.

Saumya said...

zabardast....iss "aana mat" ne kamal kar diya...too good :)

Gaurav said...

Amazing.....!