Wednesday, January 5, 2011

इंसान इंसान को कहाँ छूते हैं!

तेरे जो हैं, तूने लूटे हैं,
मेरे जो हैं, मेरे बूते हैं.

तेरा हर झूठ सच्चा है,
मेरे सारे ख्वाब ही झूठे हैं.

मुस्कुराने में ज़रा वक़्त लगेगा,
अपनी रूह से ही आप रूठे हैं.

खुदा भी मेरा हमराही है,
उसके भी कई ख्वाब टूटे हैं.

बड़ी मुद्दत से बनाया इंसान,
इंसान इंसान को कहाँ छूते हैं!

6 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत शानदार पोस्ट। एकदम

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

दीपक बाबा said...

बढिया कविता.........

URDU SHAAYRI said...

Nice post.

ग़ज़ल

दिल लुटने का सबब

हम को किसके ग़म ने मारा ये कहानी फिर सही
किसने तोड़ा दिल हमारा ये कहानी फिर सही

दिल के लुटने का सबब पूछो न सबके सामने
नाम आएगा तुम्हारा ये कहानी फिर सही

नफ़रतों के तीर खाकर दोस्तों के शहर में
हमने किस किस को पुकारा ये कहानी फिर सही

क्या बनाएं प्यार की बाज़ी वफ़ा की राह में
कौन जीता कौन हारा ये कहानी फिर सही

-Masroor Anwar
'हिंदुस्तान , पृष्ठ 9 , 7-1-20-11'

Saumya said...

pinched me...cud feel the pain....bauhat acchi lagi!!!

amrendra "amar" said...

बड़ी मुद्दत से बनाया इंसान,
इंसान इंसान को कहाँ छूते हैं

very nice .dil se lkihi gayi rachna waah