Friday, November 20, 2009

मेहमान थे

मेहमान थे,
मेहमान से,
निकल आये उनके दिल से.

उन्होंने रोका भी नहीं,
हम रुके भी नहीं.
इक हद के बाद,
मेहमान, मेजबान कि परेशानी बन जाता है.
हम परेशानी थे,
वो परेशान थे.
हम बात समझ चुपचाप निकल आये.
दिल कि भरी जगह,
चुपचाप छोड़ आये.
यादें साथ लाये, बातें साथ लाये.
अकेले ही गए थे, तनहा ही आये!!

मगर,
वो खुश हैं,
इक बेवजह का मेहमान जो चला गया!!!
शायद मेरी जगह किसी और ने ले ली हो!!
शायद वो यही चाहते हो!!!

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