दर्द की बारिश सही मद्धम , ज़रा आहिस्ता चल ।
दिल की मिट्टी है अभी तक नम, जरा आहिस्ता चल।
बोल लेने दे सबको ख़िलाफ़ तेरे ,
अभी देख दुबिया की रीत, जरा आहिस्ता चल।
कॉम है तेरा मज़हब, कॉम ही दस्तूर है,
मत मिटा इसे, सम्हल, जरा आहिस्ता चल।
रुख देख कर दरिया का, बदल गए है सभी,
तू मत देख दुनिया, जरा आहिस्ता चल।
इश्क भी मासूम है, तू भी मासूम अभी ,
वक़्त का कर तकाजा , जरा आहिस्ता चल।
अज्म हो फौलाद का तो, फौकियत आती ही है,
कौन रोकेगा तुझे, अब मत आहिस्ता चल।
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