Wednesday, April 19, 2023

मेरे राम


 राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वे कहे, बिना कहे ही, मां के कहे का मान रखने, पिता के वचन का सम्मान रखने, चुपचाप चौदह वर्ष वनवास के लिए निकल जाते हैं। जबकि जनमानस उन्हें ही राजा के रूप में देखना चाहता था, वचन से बंधे पिता भी उन्हें वचन न मानने की सलाह देते हैं, लक्ष्मण जैसा वीर भाई साथ खड़ा था, फिर भी!!

राम का चरित्र इसलिए महान है क्योंकि उन्होंने असीम बल, क्षमताओं, सम्पूर्ण जन समर्थन के बाद भी नैतिकता को नहीं छोड़ा, सत्य को नहीं छोड़ा, आचरण को नहीं छोड़ा, विचार को नहीं छोड़ा।

राम का चरित्र किसी भी मंदिर, किसी भी मूर्ति मात्र में नहीं समा सकता है। राम का चरित्र बस जिया जा सकता है, अपनाया जा सकता है। सूक्ष्म में भी हमारे अंदर समा गया तो भी हमें बेहतर मनुष्य बना सकता है। राम को निर्जीव वस्तुओं में नहीं ढाला जा सकता क्योंकि वह सजीव आदर्श मानव का चरित्र है। वह सिर्फ अपनाया जा सकता है स्वयं में, विचारों में, व्यवहार में, आचरण में।

वशिष्ठ, विश्वामित्र के शिष्य राम शांति, एकाग्रता, प्रेम, सहानुभूति, दृढ़ता, वचनबद्धता, सौम्यता, आज्ञापालन, नैतिकता, ज्ञान, साहस, कौशल, वीरता जैसे सद्गुणों का समन्वय हैं, और उनमें ये सारे गुण आवश्यक अनुपात में हैं।

राम का बस वही हो सकता है जिसमें राम के चरित्र, गुणों का समावेशन हो रहा है... और जिनमें हो रहा है उनमें क्रोध, दंभ, लालच जैसे अवगुण नहीं हो सकते, वे दंगाई या हत्यारे नहीं बन सकते।

... और जो इन अवगुणों को धारण किए है और आपके सामने राम का नाम ले रहा है, वो बस आपको, आपकी आस्था को ठग रहा है। 

#Ram

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