Friday, April 1, 2016

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं | साहिर लुधियानवी

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं 
अभी अभी तो आई हो अभी अभी तो
अभी अभी तो आई हो, बहार बनके छाई हो
हवा ज़रा महक तो ले, नज़र ज़रा बहक तो ले
ये शाम ढल तो ले ज़रा ये दिल सम्भल तो ले ज़रा
मैं थोड़ी देर जी तो लूँ, नशे के घूँट पी तो लूँ
नशे के घूँट पी तो लूँ
अभी तो कुछ कहाँअहीं, अभी तो कुछ सुना नहीं
अभी न जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं

सितारे झिलमिला उठे, सितारे झिलमिला उठे, चराग़ जगमगा उठे

बस अब न मुझको टोकना
बस अब न मुझको टोकना, न बढ़के राह रोकना
अगर मैं रुक गई अभी तो जा न पाऊँगी कभी
यही कहोगे तुम सदा के दिल अभी नहीं भरा
जो खत्म हो किसी जगह ये ऐसा सिलसिला नहीं
अभी नहीं अभी नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं
अभी न जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं

अधूरी आस, अधूरी आस छोड़के, अधूरी प्यास छोड़के

जो रोज़ यूँही जाओगी तो किस तरह निभाओगी
कि ज़िंदगी की राह में, जवाँ दिलों की चाह में
कई मुक़ाम आएंगे जो हम को आज़माएंगे
बुरा न मानो बात का ये प्यार है गिला नहीं
हाँ, यही कहोगे तुम सदा के दिल अभी नहीं भर
हाँ, दिल अभी भरा नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं
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दुख और सुख के रास्ते, बने हैं सब के वास्ते
जो ग़म से हार जाओगे, तो किस तरह निभाओगे
खुशी मिले हमें के ग़म, खुशी मिले हमे के ग़म
जो होगा बाँट लेंगे हम
मुझे तुम आज़माओ तो
ज़रा नज़र मिलाओ तो,  ज़रा नज़र मिलाओ तो
ये जिस्म दूर हैं मगर
दिलों में फ़ासला नहीं
जहाँ में ऐसा कौन है, कि जिसको ग़म मिला नहीं \- २

तुम्हारे प्यार की क़सम,  तुम्हारा ग़म है मेरा ग़म
न यूँ बुझे बुझे रहो,  जो दिल की बात है कहो
जो मुझ से भी छुपाओगे,  जो मुझ से भी छुपाओगे
तो फिर किसे बताओगे
मैं कोइ गैर तो नहीं
दिलाऊँ किस तरह यक़ीं, दिलाऊँ किस तरह यक़ीं
कि तुम से मैं जुदा नहीं
मुझ से तुम जुदा नहीं

तुम से मैं जुदा नहीं,  मुझ से तुम जुदा नहीं

तुम से मैं जुदा नहीं,  मुझ से तुम जुदा नहीं ...

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