तुम्हें नहीं लगता कि भारत के कई टुकड़े हैं, भारत बंटा हुआ है?
एक अभिनेता खून करने के बाद भी कभी जेल नहीं जाता. एक अभिनेता 5 साल की सजा में लगभग 3 साल में ही पूरी कर लेता है... 34% सांसद जघन्य अपराधी हैं और देश चला रहे हैं. और जेलों में बंद 30% लोग सिर्फ इसलिए जेल में हैं क्यूंकि उन्हें सुनवाई का इंतज़ार है ये साबित होने कि वो अपराधी भी है या नहीं!
एक इंसान 900000000000 (9000 करोड़) रूपये खा के देश छोड़ भाग जाता है जिसके शून्य भी आप गिन नहीं पाते और एक किसान को महज पचास हज़ार रूपये कर्ज़ लेने पे बीच सड़क पे पुलिस बेरहमी से पीटती है. तुम्हें फिर भी लगता है कि ये देश के टुकड़े नहीं हैं? फिर न्याय पाने वालों और गुहार लगाने वालों के बीच इतने फासले क्यों हैं?
एक इंसान 900000000000 (9000 करोड़) रूपये खा के देश छोड़ भाग जाता है जिसके शून्य भी आप गिन नहीं पाते और एक किसान को महज पचास हज़ार रूपये कर्ज़ लेने पे बीच सड़क पे पुलिस बेरहमी से पीटती है. तुम्हें फिर भी लगता है कि ये देश के टुकड़े नहीं हैं? फिर न्याय पाने वालों और गुहार लगाने वालों के बीच इतने फासले क्यों हैं?
ऐसा क्यों है कि आज़ादी के बाद सूली पे चढ़ाये गए सारे अपराधी समाज के मार्जिनल सेक्शन (Marginal Section) से आते हैं. क्या इसलिए कि सारे अपराध वही करते हैं? सबल लोगों ने अपराध किये ही नहीं? क्या ऐसा है? और अगर ऐसा है भी तो क्यों वो मजबूर हैं अपराध करने के लिए? 68 साल बाद भी हम नहीं पता लगा पाये या किसी ने कभी चाहा ही नहीं?
झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में सबसे ज्यादा खनिज है. छठवीं का बच्चा भी बता सकता है. सबसे ज्यादा गरीब राज्य भी यही हैं, ये भी वो बता सकता है. लेकिन जिनके पास ज्यादा खनिज संसाधन हैं उन्हें तो अमीर होना चाहिए था न... लेकिन ये क्यों नहीं है ये वो नहीं बता सकता. क्या आप बता सकते हैं?
क्या लोग इसलिए मरने-मारने पे उतारू हो जाते हैं कि उन्हें मज़ा आ रहा है? कि उन्हें 'माओ' से मतलब है? या कि उनकी ज़मीनें छीन उन्हें बदले में रोटियां भी नहीं दी गईं? और क्या सीआरपीएफ का 8000 रूपये महीना कमाने वाला सिपाही इसलिए छत्तीसगढ़ में मर रहा है कि वो इनसे बाकई लड़ना चाहता है? क्या वो उसके जातिगत दुश्मन हैं? या इसलिए कि ये 8000 उसके घर की रोटियां हैं? कि उसके पास कमाने के लिए यही एक साधन था. लड़ना, मारना या मरना.
तुम्हें नहीं लगता की हनुमनथप्पा और उसके नौ साथी सिर्फ इसलिए सियाचिन में नहीं थे कि उनमें सबसे ज्यादा देशप्रेम था, बल्कि इसलिए भी थे क्यूंकि उनके घर में एक बूढी माँ रही होगी जिसकी वृद्धा पेंशन या तो मिलती नहीं होगी या मिलती होगी तो 200 में से 50 रूपये उसे घूस के देने होते हैं, उनकी बहिनें रहीं होंगी जिनकी शादी में उन्हें मोटा दहेज़ देना था, उनके बच्चे रहे होंगे जिनकी बेहतर तालीम की उन्हें फ़िक्र होगी. उन्हें पता होगा कि कितनी भी कोशिशें कर लें उनके बच्चो को वो तालीम नहीं दिला सकते जो उन बच्चों को मिलती है जिनके स्कूल के महीने की फीस ही हनुथप्पा जैसे सैनिकों की एक वर्ष की सैलरी से ज्यादा है. उनकी बीवी और घर रहा होगा जिनका खर्च उन्हें उठाना था. आज़ादी के 68 साल बाद भी दहेज़ (कुरीतियां) ज़िंदा है, स्कूलों के हालात बद से बदतर हैं, और घूसखोरी ज्यूं कि त्यूं. 50 प्रतिशत के पास रोटी नहीं है 99 प्रतिशत को साफ़ पानी मुहैया नहीं है. और तुम्हें नहीं लगता कि भारत बंटा हुआ है? साधन सुलभ और साधनहीन के बीच?
तुम्हें वाकई लगता है कि बोफोर्स और ताबूत घोटाले करने वाले राष्ट्रप्रेमी हैं और तुम्हें राष्ट्रपेम सिखाएंगे? हर MIG-21 के गिरने से मरते सैनिकों की जिन्हें कभी फ़िक्र नहीं हुई उनमें यकायक से इतना देशप्रेम कहाँ से भर गया?
देश के संसाधनों पे तुम्हारा हमारा सबका बराबर का हक़ है. ये तुम्हें नहीं लगता? फिर IMF (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) चीफ़ (Christine Lagarde) ऐसा बोलती है कि 'पिछले पंद्रह सालों में भारत के अमीरों की जायदाद 12 गुना बढ़ गई है जो देश की गरीबी दो बार ख़त्म करने काफी है.' तो इससे तुम्हें क्या लगता है? क्या तुम्हें नहीं लगता कि आर्थिक रूप से भारत के टुकड़े पहले ही हो चुके हैं?
लोगों को रिजर्वेशन देना चाहिए, नहीं देना चाहिए इसपे बहसें हैं. दलित तबके को हक़ देने का किसी का मन नहीं है. जिनको रिजर्वेशन से बाहर करना चाहते हैं क्या उन्हें उच्च जातियों में शामिल करने का भी उनका मन है? क्या एक दलित को ब्राह्मण माना जायेगा, अगर वो रिजर्वेशन छोड़ दे तो? क्यों एक दलित को ऊंची जाति में शादी करने पे मार दिया जाता है? तुम्हें अब भी नहीं लगता के भारत बंटा हुआ है? उच्च और निचली जाति में? ये भारत के टुकड़े नहीं हैं?
अगर चार संगठन जो नहीं मानते कि औरत को आदमी का बराबर का हक़ है और तुम्हें लगता है कि वे तुम्हारे मज़हब और संस्कृति के ठेकेदार हैं तो शायद तुम और तुम्हारा धर्म दोनों ही तुम्हारी बेटी को मुंह दिखाने के लायक नहीं हैं. तुम्हें नहीं लगता भारत बंटा हुआ है औरतों के कम-हक़ और मर्दों के ज्यादा-हक़ भारत में?
बीस साल से विदर्भ जल रहा है और पानी पांच हज़ार करोड़ के घोटालों में गुम हो गया! ऐसे लोग अगर तुम्हें देशप्रेम सिखाएंगे तो इससे बदतर तुम्हारी स्थिति क्या हो सकती है?
तुम्हें फिर भी लगता है कि तुम बंटे हुए भारत में नहीं रह रहे हो और तुम्हें आज़ादी मिल चुकी है तो तुमसे ज्यादा मूर्ख और कोई नहीं है.
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