1.
जिन्होंने कभी हमसे पानी माँगा,
संग बैठ रोटी खाई
प्यार से पुचकार देशहित में मुफ्त ज़मीनें मांगी,
अपने बड़े-बड़े मॉल बनाये.
मैं जब लौट के थका-मांदा वहां गया,
उन्होंने कहा-
'पानी बीस रूपये, एक लीटर'.
(Inspired from 'Shanghai' Film)
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2.
पहले मेरे हिस्से आज़ादी आई, फिर मशीनें
उन्होंने अपने घर बनाये मेरी ज़मीनों पे
अपनी फसल बोई मेरी फसलों पे
उससे जो उगा वो बारूद था
जो मुझपे ही दागा गया.
पहले मेरे हिस्से आज़ादी आई, फिर मशीनें.
फिर मेरे हिस्से की आज़ादी उनकेे हिस्से आई.
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