स्ट्रोंग कॉफी
तुम्हें भुलाने हर दिन
बस एक 'स्ट्रोंग कॉफी' काफी होगी...
ऐसा सोचता था मैं.
तुम गये,
कॉफ़ी हर शाम पीता हूँ
...और पीते-पीते तुम्हें याद करता हूँ.
तुम ठोकर हो, पर शबनमी हो.
दिल को लगती हो, दिल गीला करती हो.
हर दिन... हर दिन.
हर शाम... हर कॉफ़ी पे.
1 comment:
क्या बात है.....!
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