देखो, वो लोग जो
महलों में रहते हैं,
एक दिन जब तुम न उगाओगे अन्न
तो खा लेंगे
महलों की दीवारें.
तुम न सहोगे तो
हुक्म चला लेंगे अपनी औरतों पे.
उनके हुक्म से औरतें बन जाएगी पैसे
और खरीद लेंगे
ऎशो-आराम.
देखो तुम्हारे भूखे मरने से
न यहाँ की संसद हिलेगी, न यहाँ के महल.
मैं तो कहता हूँ,
तुम सब एक बार में, एक साथ ही मर जाओ.
एक-एक कर मर
क्यूँ इन्हें अन्न उगा-उगा एहसान जताते हो.
विदर्भ, छत्तीसगढ़, मध्य भारत के अन्नदाताओ
मर जाओ सब,
कर लो सामूहिक आत्महत्या.
मैं देखना चाहता हूँ,
तुम्हारी मौत का तमाशा देखने वाला
यह समाज
क्या खाकर जिंदा रहता है.