'वो दोनों ही मुझे पसंद करते हैं,और मजे की बात तो ये है की वो दोनों बेस्ट फ्रेंड्स हैं.' वो बताती है
'तुम्हारे बेस्ट फ्रेंड?'
'अरे नहीं डमडम, आपस में .' 'डमडम' बोलना उसकी आदत है , जहां हम प्यार से 'पागल ' या 'बुद्धू ' बोलते हैं ,
वहां वो 'डमडम' बोलती है . वो मेरे कॉलेज से ही है , लेकिन कॉलेज के चार सालों में हमने कुल चार दफे ही बात की होगी , लेकिन यहाँ पता नही कैसे हम घुल -मिल गये ......और फ्रेंडशिप के शुरुआत में ही ...'एज एवेरी गर्ल यूज़ टू डू' वो भी डिफेंसिव मोड में अपनी लव -लाइफ (ओर सो काल्ड बोय्फ्रेंड्स ) के बारे में बता रही है .....लड़कियों को नये लडको से मिलते ही यही क्यों लगने लगता है की कहीं वो पसंद न करने लगे!!! फिलहाल वो जारी है .....
''a' इज सो गुड , तुम तो जानते होगे . 'b' के कम्पेयर में स्मार्ट भी है , और इंटेलिजेंट भी ....एंड मोस्ट important ही इज इन अ वैरी गुड B-school, जब प्लेसमेंट पायेगा तो 'Infy' से अच्छा तो पायेगा ही ....पर पता नहीं क्यूँ मैंने उसे हाँ क्यूँ नहीं कहा.'
....'a' सच में अच्छा है , स्मार्ट ,इंटेलिजेंट और मेरी क्लास से अच्छे B-school में जाने बाला सिंगल बंदा. 'b' हमारे साथ ही है , Infy में.
''b' को पता है?'
'क्या? की मैं उसे पसंद करती हूँ? शायद हाँ, शायद न!!! लेकिन मुझे 'a' ज्यादा पसंद क्यों नहीं आया !?!? '....
अब मैडम को कौन समझाए की इश्क दिल से होता है, दिमाग से नहीं. दिल कोई रूम तो है नहीं की किसी को भी निकाल दो किसी को भी रख लो.
'यू नो, आई ऍम इन लव.'
'तो बोल दो उससे जाके.'
'नहीं, क्यूंकि मुझे लगता है उसे भी प्यार है, और अगर उसे प्यार है तो उसमे बोलने की भी डेयरिंग होनी चाहिए. वो 'आज तुम अच्छी लग रही थी' भी फ़ोन पे कहता है. ये तो नोर्मल फ्रेंड इवेन अननोन भी मुंह पर बोल देते हैं.'
मैं 'b' की हालत पे हँसता हूँ.
------अगले फ्रायडे को इवनिंग में-----
'कहाँ जा रहे हो विव?'.....पीछे 'b' है.
'सरदार के ढाबे पे, अमन वहीं है.' मैं सीधे सीधे जबाव देता हूँ ....ये पेट भी अजीब चीज़ है, लोगों को कहाँ
से कहाँ ला देता है, ढाबा बाला सरदार जालंधर से है, और बेचारा यहाँ मैसूर में 30 बाय 30 की खुली जगह में ढाबा खोले है.
....खैर, बेक टू द ट्रैक-
'क्या तुम भी पीते हो ? तुम तो जैन हो.'
'वैसे 'जैन' होने या न होने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मैं नहीं पीता हूँ. लेकिन मुझे पास बैठने में भी कोई परहेज़ नहीं है. तुम कहाँ जा रहे हो?'
'वहीं ढाबे के पहले 'टोनिफ' पे खाना खाने.'
'गुड....मुझे तुमसे कुछ पूंछना है.'
'क्या'?
'क्या तुम 'उसे' पसंद करते हो?'
'हाँ शायद ......लेकिन मेरी भी मजबूरी है , ये हेक्टिक शेड्यूल और 'उसे', दोनों को मैं एक साथ हेंडल नहीं कर सकता.
तुम्हे तो पता है ट्रेनिंग में ध्यान देना ज़रूरी है, नहीं तो फ़ैल हो जायेंगे.' ......मैं कुछ नहीं कहता हूँ. ये साल्ला इश्क भी
कस्टमाइज हो गया है ......और ये इश्क की तरंगे अब दिल से नहीं निकलती, दिमाग से निकलती हैं.
'ब'बाय, रेस्टोरेंट आ गया'
मैं जवाब नहीं देता हूँ.
-------वो बेदर्द शाम-----
'तुमने चेक किया , module का रिजल्ट आया है.' मेरे क्लास में घुसते ही वो कहती है......'तुम्हारा क्या रहा?'.......'अपना देखलो, मेरा क्या है बता ही दूँगी.'
अपना कंप्यूटर खोलते ही मैं उसे अपना रिजल्ट बताता हूँ ........ 'मैं फ़ैल हो गयी', वो धीरे से बोलती है.'......'पता है तुमने क्लास के 10 घंटों में 6 घंटे 'उसकी' बात की है. यू शुड कंसंट्रेट ऑन यौर स्टडीज़.'.....'हाँ करूंगी.' वो धीरे से बोलती है.
अब उसकी ट्रेनिंग एक महीने ज्यादा चलेगी. उसकी आँखों में आंसू साफ़ देख सकता हूँ ......'मैं उसे समझाना चाहता हूँ लेकिन कहता कुछ नहीं.'
'विव उसका रिजल्ट क्या रहा' सामने 'b' है. ....'वो फ़ैल है.'....वो मेरी और देखता है , कहता कुछ नहीं. 'कांग्रेट्स मुझे तुम्हारा
रिजल्ट पता है , यू आर वन ऑफ़ द टोपर्स.'......'थैंक्स, तुम्हारा भी तो अच्छा रहा है .' वो फोर्मलिटी करता है.
'शायद अब तुम्हे पता चल गया होगा की मैं उसके साथ क्यों नही रहता हूँ, रहता तो मैं भी फ़ैल हो गया होता.' उसकी बदतमीजी पर मैं थप्पड़ मारना चाहता हूँ बट एसा करता नहीं हूँ. मुझे उसपे तरस आता है.
'.........या शायद तुम दोनों ही बहुत अच्छे मार्क्स लाते.' मैं मुस्कुरा के निकल जाता हूँ. वो पीछे से मुझे घूर रहा है.
अपने कंप्यूटर पर बैठा हूँ .....बगल बाली टेबल पर उसका मोबाइल पड़ा है .........वो शायद पेंट्री गयी है ....मैं बेवजह ही घुस आई अ-सज्जनता से उसका मोबाइल उठा लेता हूँ.
'a' का मैसेज पड़ा है -'यू आर सो इंटेलिजेंट, इट हेप्पेंस, लाइफ में एसा चलता ही रहता है. डोंट वरी. कहो तो सम्मर ट्रेनिंग में मैं तुम्हारे पास आ जाऊं.'
इश्क भी अजीब है, जिसे हम चाहते हैं वो हमे नहीं चाहता और जो हमे चाहता है उसे हम नहीं चाहते. किस पर तरस करूं, और किसे गलत कहूं? 'a' का प्यार, 'b' का इनकार, या बेचारी वो बेकरार? शायद सभी गलत हैं और शायद कोई भी नहीं .......शायद इश्क की ही गलती है.
2 comments:
nice,,,,
सार्थक पोस्ट, सादर.
मेरे ब्लॉग " meri kavitayen" की नवीनतम प्रविष्टि पर आप सादर आमंत्रित हैं.
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