Friday, February 4, 2011

........ये नींद टूटे ख्वाब ही दिखाती है!!

तुमने छुआ मुझे फिर....वैसे ही उन्नींदे.
जैसे, तारकों के बीच से,
कोई नई आकाश गंगा चमक उठी हो.
या गंगासागर तक का सफ़र गंगे ने
कर लिया हो तय, पल में ही.

चाँद शक्ल बदलता रहा, हर रात....अनवरत.
लेकिन तुम नहीं बदले,
इत्तेफाकन, देखो मैं भी नहीं बदला!!
सच तो ये है, तुम्हारी चाह ने मुझे बदलने नहीं दिया,
और तुम्हें तुम्हारे अहं ने.
मैं अब भी वहीं हूँ, तुम्हारी आस में.
तुम अब भी वहीं ठहरे बेगानी तलाश में!

तुमने छुआ मुझे फिर....वैसे ही उन्नींदे,
नींद के आगोश में, मैंने भी.
तुम्हें नहीं लगता, ये नींद टूटे ख्वाब ही दिखाती है.
जो सपने सच हो जाते हैं, वो नींद में कहाँ आते हैं!

11 comments:

ZEAL said...

तुम्हें नहीं लगता, ये नींद टूटे ख्वाब ही दिखाती है.
जो सपने सच हो जाते हैं, वो नींद में कहाँ आते हैं!

Beautiful creation ! I liked it .

.

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

Saumya said...

brilliant .....brimming with heartfelt emotions
ये नींद टूटे ख्वाब ही दिखाती है.....simply mindblowing :)

Dr Varsha Singh said...

चाँद शक्ल बदलता रहा, हर रात....अनवरत.
लेकिन तुम नहीं बदले,
इत्तेफाकन, देखो मैं भी नहीं बदला!!......

बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।

Dr (Miss) Sharad Singh said...

जैसे, तारकों के बीच से,
कोई नई आकाश गंगा चमक उठी हो.
या गंगासागर तक का सफ़र गंगे ने
कर लिया हो तय, पल में ही......

बहुत ही सुंदर कविता !

हरकीरत ' हीर' said...

सच तो ये है, तुम्हारी चाह ने मुझे बदलने नहीं दिया,
और तुम्हें तुम्हारे अहं ने.....
मैं अब भी वहीं हूँ, तुम्हारी आस में.
तुम अब भी वहीं ठहरे बेगानी तलाश में!

दिल ने चाहा बहुत और मिला कुछ भी नहीं
ज़िन्दगी हसरतों के सिवा और कुछ नहीं ......

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi gahan abhivyakti

बेईमान शायर said...

bahooot badhiya... Maza aaya padh kar..

दिलबागसिंह विर्क said...
This comment has been removed by the author.
दिलबागसिंह विर्क said...

सुंदर कविता , सचमुच प्रेमी कभी चाँद की तरह नहीं बदलते , तुम्हारा न बदलना ठीक ही है , काश , वो अहंकारी बदल गया होता
sahityasurbhi.blogspot.com

VIVEK VK JAIN said...

@dil vo b kabhi nhi badlegi.:-) ittefak se uska ahm b chand ki tarah nhi badalta.