नींद
नींद में सिर्फ ख्वाव नहीं,
उदासी भी है,
कुछ अधूरे सपने और तन्हाई भी है.
तो कुछ पाने की उन्मुक्तता,
कुछ सुकून और चैन भी है.
तन्हाई
तन्हाई
बस टैरेस पर अकेला होना नहीं,
भीड़ में खोना भी है.
भरी सड़क अकेला होना भी है.
सफ़ेद लबादे में लिपटी लाश तन्हा नहीं,
तन्हा तुम हो,
क्यूंकि तमाशे में भी अकेले हो.
सड़क/शहर
सड़क का रास्ता,
सिर्फ शहर को नहीं जाता है.
उम्मीद को भी जाता है,
नए अवसर की ओर भी जाता है.
रेल की पटरी किनारे
झुग्गियां बनेगी ज़रूर,
चंद रोटियां तो नसीब होगीं.
भले सुकून मिले ना मिले,
गाँव से शहर थोड़ा अच्छा है......!!!
गाँव का रास्ता तो लम्बा है....
गाँव में,
सुकून है तो क्या,
माँ है तो क्या,
गाँव का रास्ता तो लम्बा है.....
फिर गाँव से शहर लौटना भी है मुश्किल!
तुम्हारी आस में...
कहते हैं,
लौट आते हैं लोग
शाम ढले,
सुबह के भूले भी.
तुम्हारी आस में तो रात गुजर गई.
....
* टैरेस-terrace
* लबादा- चादर, कफ़न(here)
~V!Vs***
10 comments:
तुम्हारी आस में...
कहते हैं,
लौट आते हैं लोग
शाम ढले,
सुबह के भूले भी.
तुम्हारी आस में तो रात गुजर गई........
bahut khub ....yah bahut badhiya lagi
विवेक जी, बहुत ही भावुक मन के लिखी आपने ये क्षनिकाएं ..... अति सुंदर. बधाई.
Oh My God Vivek... This is awsum...
तन्हाई
बस टैरेस पर अकेला होना नहीं,
भीड़ में खोना भी है.
Loved this post....
bahut hi badiya kavitayein...
Meri nayi kavita : Tera saath hi bada pyara hai..(तेरा साथ ही बड़ा प्यारा है ..)
Banned Area News : Muralidaran looks ahead to 2011 World Cup
कहते हैं,
लौट आते हैं लोग
शाम ढले,
सुबह के भूले भी.
तुम्हारी आस में तो रात गुजर गई...
भावुक मन ले लिखी क्षणिकाएँ ..... और ये तो कमाल की है ...
छोटी छोटी -भावुक कवितायेँ
शुभकामनायें .
wah wah...sabhi kuch to keh diya :)
http://liberalflorence.blogspot.com/
mujhe is vidha ka jayada gyan nahi per vivek bhai..dil chura liya aapne..
padh kar maza aaya
kavyalok.com
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सुंदर हैं दोस्त.. सारी बेहद स्वीट हैं..
gaon ka raasta lamba hai to kya hua,bus to direct hai.......
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