ऐसा भी कोई घर आपने देखा है?
जहाँ
अतीत के ख्वावों में डूबा
बाप हो,
सदा से ममतामयी
माँ हो,
बहू का प्यार हो,
बेटे द्वारा सत्कार हो.
आज सब बूढ़े क्यों वृद्धाश्रम में ठूँसे गये हैं?
यों जाने कितने पेड़ यूँ ही सूख गये हैं.
~V!Vs ***
13 comments:
PS: Another poem from my diary, published in school magazine in 2004 with title 'yesa bhi koi ghar aapne dekha hai? In same year i was selected as 2nd editor of magazine 'Pratiksha'.
एक सम्वेदनशील अभिव्यक्ति, आभार!!
यों जाने कितने पेड़ यूँ ही सूख गये हैं.
so very true!
bahut hi khoob likha hai aapne
shukriya
Meri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....
A Silent Silence : Ye Kya Takdir Hai...
Banned Area News : How to give your baby a good night sleep
well written...
aaj ke avasar par yah rachna saarthak lagi .jai hind ,haardik badhai aazaadi -parv ki .
आज का सच है यह ....आगे आने वाला वक़्त और भी डरवाना है ...
आज का बुढापा
अकेली आंखो में सपने प्रवासी
जिन्दगी में है बस एक उदासी
अकेले कब तक बच्चो की राह निहारे
हर पल एक डर, और मौत भी नही आती…
मेरी लिखी साया से ....
@ranju ji, thanx for comment....i like ur every poem.
nice......
थोड़े शब्दों में अत्यंत प्रभावशाली.
अले वाह, थोड़े शब्दों में इत्ती बड़ी बात...बढ़िया लगी.
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पाखी की दुनिया में मायाबंदर की सैर करें...
सच लिखा है ... संवेदनाएँ खो गयी हैं आज ...
वानप्रस्थ फिर सन्यास, नियति है शायद.
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