Tuesday, September 5, 2023

Papa's Letters to Shaurya. #ThirdLetter

 यह पत्र तुम्हें मैं इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम समझ पाओ कि शिक्षक कौन है और वो जीवन में महत्वपूर्ण क्यों होता है. मैंने पहले पत्र में लिखा कि पिताओं के द्वारा लिखे खतों में मैंने अब्राहम लिंकन द्वारा शिक्षक को लिखा पत्र और नेहरू जी द्वारा इंदिरा गाँधी को लिखे पत्र प्रसिद्द हैं. मैं आज अब्राहम लिंकन द्वारा अपने पुत्र के शिक्षक को लिखा पत्र सुनाता हूँ. जब तुम इसे समझोगे तो समझ जाओगे कि लगभग डेढ़ सौ साल बाद भी यह पत्र क्यों प्रासंगिक है और क्यों माँ को बच्चों की प्रथम शिक्षक कहलाती है. 


प्रिय शिक्षक,

मेरा बेटा आज से स्कूल की शुरुआत कर रहा है. कुछ समय तक उसके लिए यह सब अजीब और नया होने वाला है और मेरी इच्छा है कि आप उसके साथ बहुत नरमी से पेश आएं. यह एक साहसिक कार्य है. मुमकिन है यह एक दिन उसे महाद्वीपों के पार ले जाए. जीवन के वह सारे रोमांच, जिसमें शायद युद्ध, त्रासदी और दुख भी शामिल हों. इस जीवन को जीने के लिए उसे विश्वास, प्रेम और साहस की जरूरत होगी.

तो प्रिय शिक्षक, क्या आप उसका हाथ पकड़कर उसे वह सब सिखाएंगे, जो उसे जानना होगा, जो उसे सीखना होगा. लेकिन थोड़ा नर्मी से, मुहब्‍बत से. अगर आप यह कर सकते हैं तो. उसे सिखाएं कि हर दुश्मन के साथ एक दोस्त भी होता है. उसे सीखना होगा कि संसार में सभी मनुष्य न्याय के साथ  नहीं होते, कि सभी मनुष्य सच्चे नहीं होते. लेकिन उसे यह भी सिखाएं कि जहां दुनिया में बुरे लोग हैं, वहीं एक अच्‍छा हीरो भी होता है. जहां कुटिल नेता हैं, वहीं एक सच्‍चा समर्पित लीडर भी होता है.  

यदि आप कर सकते हैं तो उसे सिखाएं कि अपनी मेहनत से कमाए गए 10 सेंट का मूल्य मिले बेगार में मिले एक डॉलर से कहीं ज्‍यादा है. उसे सिखाएं कि स्कूल में चीटिंग करके पास होने से कहीं ज्‍यादा सम्‍माननीय है फेल हो जाना. उसे सिखाएं कि कैसे शालीनता से हार को स्‍वीकार करना है और जब जीत हासिल हो तो कैसे उसका आनंद लेना है.  

उसे सिखाएं मनुष्‍यों के साथ नर्मी और कोमलता से पेश आना. उसे कठोर लोगों के साथ थोड़ा सख्‍त होना भी सिखाएं. यदि आप कर सकते हैं तो उसे ईर्ष्या से दूर रखें. उसे शांत, सरल और गहरी हँसी का रहस्य सिखाएं. यदि आप कर सकते हैं तो उसे सिखाएं कि जब वह दुख में हो कैसे मुस्‍कुराए.  उसे सिखाएं कि आंसुओं में कोई शर्म की बात नहीं है. उसे सिखाएं कि असफलता में भी गौरव और सफलता में भी निराशा हो सकती है. उसे पागल सनकियों का उपहास करना सिखाएं.

यदि आप कर सकते हैं तो बताएं कि संसार की किताबों में कितने अनंत रहस्‍य छिपे हैं. लेकिन साथ ही उसे आकाश में पक्षियों, धूप में मधुमक्खियों और हरी पहाड़ी पर फूलों के रहस्यों के बारे में सोचने-विचारने का भी वक्‍त दें. उसे अपने विचारों में विश्वास करना सिखाएं, भले ही हर कोई उसे गलत क्‍यों न कह रहा हो.

मेरे बेटे को यह शक्ति देने की कोशिश करें कि जब सब लोग एक दिशा में जा रहे हों तो वह भीड़ के पीछे न चले. उसे सिखाएं कि उसे हरेक की बात सुननी चाहिए. लेकिन साथ ही उसे यह भी सिखाएं कि वह जो कुछ भी सुन रहा है, पहले उसे सत्‍यता की छलनी से छाने और फिर जो अच्‍छा लगे, उसे  ग्रहण करे.

उसे अपनी प्रतिभा और अपने दिमाग को सबसे ऊंचे दामों पर बेचना सिखाएं लेकिन यह भी सिखाएं कि वो कभी किसी भी कीमत पर अपने दिल और अपनी आत्मा का सौदा न करे. उसे अधीर हो सकने का साहस दें, लेकिन साथ ही उसे धैर्यवान होने की सीख भी दें. उसे सिखाएं कि हमेशा अपनी आत्‍मा की उदात्‍तता और गहराई में यकीन करे क्‍योंकि तभी वह मनुष्‍यता और ईश्‍वर की उदात्‍तता में भी यकीन कर पाएगा.  

यह मेरा आदेश है प्रिय शिक्षक, लेकिन देखें कि आप सबसे बेहतर क्या कर सकते हैं. वह इतना प्‍यारा छोटा बच्‍चा है और वह मेरा बेटा है.   

आपका,

अब्राहम लिंकन


ये जो भी पत्र में लिखा हुआ है तुम बड़े होते हुए पाओगे कि यही  मानवमूल्य हैं जिनकी समाज को जरुरत है. यही मानवमूल्य जो भी शिक्षक तुम्हें सीखा पा रहा है वही तुम्हारा असली शिक्षक है. प्रत्येक माँ अपनी संतान को उच्च मूल्यों के साथ, अच्छी नैतिकता के साथ बड़ा करती है. वो तमाम कोशिशें करती है जिससे उसकी संतान एक मनुष्यतर मनुष्य बन पाए. इसलिए ही तो माँ को प्रथम शिक्षक कहा जाता है! तुम बड़े होते होते समझोगे कि तुम्हारी मम्मा प्रतिदिन कितने प्रयास करती है. मैं कभी कभी कमजोर पड़ जाऊं लेकिन वो तुम्हारे लिए जरूरतन कठोर होने से भी नहीं चूकती 

आगे किसी पत्र में बताऊंगा कि महात्मा गाँधी का स्वतंत्रता आंदोलन कैसे सिर्फ स्वतंत्रता नहीं बल्कि समाजिक विकास और  भारत के लोगों में उच्च मानव मूल्यों के प्रसार का आंदोलन भी था और उसकी छवि संविधान  विशेषत: संविधान की प्रस्तावना और मौलिक अधिकारों में कैसे दिखती है और ये भी कि अब्राहम लिंकन और महात्मा गाँधी अपनी मृत्यु (हत्या) के इतने वर्षों बाद क्यों प्रासंगिक हैं. 

(अब्राहम लिंकन के पत्र का कविता के रूप में भवानुवाद मधु पंत ने किया है. उसकी लिंक :  http://www.sadaknama.com/2023/09/blog-post.html )

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