आग इसलिए भड़कती है कि नीचे ईंधन रखा जाता है. तुम्हें पता है शोना ईंधन की कई किस्में होती हैं. विदर्भ में मिटटी में आग लग जाती है, किसान जल जाते हैं, फंदे लगा के. वहां ईंधन सूखा होता है और सूदखोर का सूद.
आग मणिपुर में भड़कती है, कई जल जाते हैं. इरोम दसकों जलती है धीरे धीरे. तुम्हें पता है शोना, वहां ईंधन क्या है? वहां बलात्कार हैं, उनके द्वारा जिन्हें सरकारों ने भेजा है चौकसी के लिए, पता नहीं किससे.
आग जेएनयू में लगती है. देशद्रोह के मुक़दमे दर्ज़ होते हैं. लोगों को जेल और कोर्ट में पिटाई. तुम्हें पता है शोना वहां क्या ईंधन है? वहां ईंधन वो लोग हैं जो देश को एकतरफ़ा सोच में बदलना चाहते हैं. पैट्रिऑटिस्म (देशभक्ति) के नाम पे राजनीती करना चाहते हैं. लोगों को समाज के उस हिस्से से परेशानी है जो सोच पता है. फ्रीडम चाहता है- विचारों में, पहनावे में, रहन-सहन में.
अंग्रेजी में एक कहावत है, शायद अठारवीं सदी में सैमुअल जॉनसन ने कहा था--
"Patriotism is the last refuge of a scoundrel "
हिंदी में खुद समझ लेना. मतलब बस ये कि-
हमारी अक्ल पे वे परदे डालेंगे जिनमें खुद अक्ल नहीं है.
तुम्हें पता है शोना ऐसा लिखने के बाद खाकी वर्दी घर पे भी दस्तक दे सकती है. मैं चाहता हूँ दस्तक दे. मैं चाहता हूँ कि मैं उन लोगों का हिस्सा बनूँ जिनकी अक्ल पे परदे डालने की कोशिश की जा रहीं हैं. जिनसे इन लोगों को डर है.
आग मणिपुर में भड़कती है, कई जल जाते हैं. इरोम दसकों जलती है धीरे धीरे. तुम्हें पता है शोना, वहां ईंधन क्या है? वहां बलात्कार हैं, उनके द्वारा जिन्हें सरकारों ने भेजा है चौकसी के लिए, पता नहीं किससे.
आग जेएनयू में लगती है. देशद्रोह के मुक़दमे दर्ज़ होते हैं. लोगों को जेल और कोर्ट में पिटाई. तुम्हें पता है शोना वहां क्या ईंधन है? वहां ईंधन वो लोग हैं जो देश को एकतरफ़ा सोच में बदलना चाहते हैं. पैट्रिऑटिस्म (देशभक्ति) के नाम पे राजनीती करना चाहते हैं. लोगों को समाज के उस हिस्से से परेशानी है जो सोच पता है. फ्रीडम चाहता है- विचारों में, पहनावे में, रहन-सहन में.
अंग्रेजी में एक कहावत है, शायद अठारवीं सदी में सैमुअल जॉनसन ने कहा था--
"Patriotism is the last refuge of a scoundrel "
हिंदी में खुद समझ लेना. मतलब बस ये कि-
हमारी अक्ल पे वे परदे डालेंगे जिनमें खुद अक्ल नहीं है.
तुम्हें पता है शोना ऐसा लिखने के बाद खाकी वर्दी घर पे भी दस्तक दे सकती है. मैं चाहता हूँ दस्तक दे. मैं चाहता हूँ कि मैं उन लोगों का हिस्सा बनूँ जिनकी अक्ल पे परदे डालने की कोशिश की जा रहीं हैं. जिनसे इन लोगों को डर है.
हाँ, और याद आया शोना हमारे-तुम्हारे अंदर लगी आगों को खाप या हमारे-तुम्हारे बाप ईंधन में संस्कृति देकर, हमें जलाते रहे हैं. सरे बाजार, सरे-आम और हमारी लाशें हमारी माँयें भी नहीं पहचान पाई.
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